Savita bhabhi, xxx hindi story: सविता भाभी कुछ दिनों पहले ही अपने पति के साथ गांव से लौटी थी क्योंकि गांव में सविता को जाना था। सविता ने ही अपने पति से गांव जाने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन उसके पीछे भी सविता की हवस थी सविता चाहती थी कि वह गांव के मोहन काका के लंबे लंड को अपनी चूत में ले इसीलिए सविता ने अपने पति से इच्छा जाहिर की थी कि मैं गांव जाना चाहती हूं। उसके पति भी सविता को मना ना कर सके और वह उसे गांव लेकर गए। वहां पर सविता ने मोहन काका के साथ अपने जीवन का एक और सुख भोगा और वह अपनी इच्छा पूरी कर शहर लौट आई।
सविता की सहेली ने जब सविता से कहा कि उसने कुछ दिनों पहले एक स्कूल के प्रिंसिपल के साथ स्कूल में ही सेक्स का आनंद लिया था तो सविता इस बात से तिलमिला उठी और वह भी चाहती थी कि वह किसी ऐसे के साथ सेक्स करें जिसके साथ उसे मजा आ जाए। वह अब सेक्स सुख लेने के लिए बहुत तड़प रही थी इसी कड़ी में सुरेश डाकिया का नाम जुड़ा। सुरेश डाकिया बहुत खुशनसीब था जो उसे सविता भाभी का गरमागरम और रसीला बदन मिला। सविता भाभी का हुस्न किसी हीरे से कम नहीं है जो हर किसी की किस्मत में नहीं होता लेकिन सुरेश डाकिया बहुत खुशनसीब था जो उसे सविता भाभी के बदन को महसूस करने का मौका मिल पाया। दोपहर की गर्मी में सुरेश डाकिया ने सविता भाभी के घर का दरवाजा खटखटाया तो सविता भाभी अपने बेडरूम में पोर्न मूवी देख रही थी पोर्न मूवी देखते हुए वह अपनी चूत में कंडोम लगे केले को ले रही थी। वह केला भी बहुत खुशनसीब था जो सविता भाभी की चूत में उसे जाने का मौका मिला। सविता भाभी ने अपने 43 इंची एलईडी टीवी की आवाज इतनी तेज कर रखी थी कि कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। काफी देर तक सुरेश डाकिया दरवाजा खटखटाता रहा लेकिन सविता भाभी को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। तभी सविता भाभी के फोन पर उनके पति का फोन आता है वह फोन उठाते हुए अपने पति से कहती हैं कि क्या हुआ आज तुमने दोपहर में ही याद कर लिया क्या तुम घर आ रहे हो मैं तुम्हारे लिए गरमा गरम खीर बनाकर रखती हूं।
सविता भाभी तड़प रही थी वह चाहती थी कि उनके पति घर आए और उनकी प्यास को बुझाए लेकिन उनके पति ने कहा कि बाहर डाकिया खड़ा है तुम उससे डाक ले लो। यह सुनते ही सविता भाभी ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और बाहर चली गई। जब सविता भाभी ने दरवाजा खोला तो सामने देखा एक व्यक्ति जिसके घुंघराले बाल थे उसने खाकी रंग की ड्रेस पहने हुए थी कद 5 फुट 10 इंच था उसे कहा अच्छा तो आप बाहर ही खड़े थे। सुरेश डाकिया बहुत ज्यादा गुस्से में था और उसने गुस्से में सविता भाभी से कहा आप अंदर क्या कर रही थी इतनी देर से मैं दरवाजा खटखटा रहा था। सविता भाभी ने उसके गुस्से को शांत कर दिया उन्होंने अपने स्तनों पर हाथ को फेरना शुरू किया तो डाकिया उनके स्तनों की तरफ देखने लगा। इस बात से सविता भाभी खुश हो गई कि उन्होंने डाकिया को अपनी तरफ देखने के लिए मजबूर कर दिया। वह डाकिया कहने लगा यह लो आपकी डाक आई थी आप इसे रख लो मैं चलता हूं और आप अपने साइन कर दो। सविता भाभी डाकिया को इतनी आसानी से कहां जाने देना चाहती थी। उन्होंने कहा मेरे पास पैन नहीं है डाकिया ने भी मजाकिया अंदाज में कहा मेरे पास है ना लेकिन अभी वह चल नहीं रही है। सविता भाभी ने कहा मैं उस पेन को चलाना जानती हूं मैं देख लेती हूं कि वह क्यों काम नहीं कर रही। सविता भाभी ने जब डाकिया की जेब में हाथ डाला तो उन्होने डाकिया के लंड को कसकर दबा दिया, सविता भाभी ने जब डाकिया के मोटे लंड को दबाया तो वह अपने पंजों पर खड़ा हो गया और सविता भाभी की तरफ देखकर कहने लगा आप यह क्या कर रही हैं? सविता भाभी ने अपनी मदमस्त और मादक आवाज में डाकिया से कहा आप ही ने तो कहा कि आपकी पैन चलती नहीं है तो मैंने सोचा आप की पैन को चला दूं। डाकिया भी अब तड़प उठा था और वह सविता भाभी की तरफ नजर मारने लगा डाकिया ने जब सविता भाभी के सुडौल स्तनों की तरफ देखा, वह सविता भाभी को ऐसे देख रहा था जैसे कि सविता भाभी के स्तनों को अपनी आंखों से ही जला देगा।
इस बात से सविता भाभी भी अनजान नहीं थी की डाकिया भी उनसे कुछ चाहता है। डाकिया ने कहां आप साइन क्यों नहीं करती? सविता भाभी ने कहा आप अंदर आ जाइए मै पैन ले आती हूं। सविता भाभी अपने बेडरूम में चली गई और उन्होंने अपना श्रृंगार किया उन्होंने अपने बालों को अच्छे से बांध लिया और अपने होठों पर उन्होंने चॉकलेटी कलर की सेक्सी लिपस्टिक लगा दी। वह अपने हाथों में पैन लिए हुए बाहर आई उन्होंने उस डाकिया से कहा बताइए कहां पर साइन करना है। वह डाकिया उनके बगल में ही बैठा हुआ था सविता भाभी ने भी अपनी बड़ी गांड को सोफे के सहारे टिकाया। डाकिया ने टेबल पर पेपर को रखा वह सविता भाभी को कहने लगा यहां पर साइन कर दीजिए। सविता भाभी झुकते हुए उस पेपर पर साइन करने के लिए अपने हाथ को बढ़ाया तो उनके स्तन बाहर की तरफ को झाकने लगे जिस से वह डाकिया उनके स्तनों की तरफ तिरछी नजर से देखने लगा। जब वह अपनी तिरछी नजरों से सविता भाभी के स्तनों को देखता तो सविता भाभी डाकिए की तरफ देखकर कहने लगे आप क्या देख रहे थे। डाकिया की भी आवाज बंद हो गई वह घबरा गया और अपनी हवस भरी नजरों को छुपाने लगा लेकिन सविता भाभी ने उसके अंदर की आग को दोबारा जला दिया और अपने अदाओं के जलवे दोबारा से उसे दिखाने लगी।
उन्होंने अपनी चॉकलेटी लिपस्टिक को डाकिया के गाल पर लगा दिया डाकिया भी पूरी उत्तेजना में आ चुका था उसने अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए सविता भाभी के गोरे और बड़े स्तनों को दबाया फिर अचानक से उसने अपने हाथ को पीछे कर लिया और वह रुक गया। सविता भाभी ने उसकी तरफ अपनी प्यासी नजरों से देखा और कहा तुम तो जलती हुई आग पर पानी डाल रहे हो तुम्हें तो उसे और जलाना चाहिए। इस बात से डाकिया भी बेखौफ हो गया और उसने अपने हाथ को सविता भाभी के सूट के अंदर डाल दिया और उनके स्तनों को सूट से बाहर निकाला। डाकिया ने सविता भाभी के स्तनों को अपने होठों से चूसना शुरू किया और उनके स्तनों से दूध बाहर निकाल कर रख दिया। सविता भाभी भी डाकिए की काबिलियत को समझ चुकी थी कि वह एक नंबर का चोदू है उन्होंने डाकिया से कहा तुम अपनी पैन को बाहर निकाल दो। जब उन्होंने डाकिया के लंबे और काले लंड को बाहर निकाला तो वह उसे अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी है जिससे कि डाकिया कि उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ती चली गई और डाकिया पूरे जोश में आ चुका था। सरेश डाकिया ने जैसे ही सविता भाभी से आग्रह किया कि वह उसके लंड को चूसना शुरू करें तो सविता भाभी ने उसकी बात मान ली और अपने चॉकलेटी लिपस्टिक लगी रसीले होठो से उसके लंड को चूसना शुरू कर दिया और उसे तब तक उन्होंने चूसा जब तक उसका पानी लंड से बाहर नहीं निकल आया। डाकिया ने सविता भाभी के बदन से कपड़ों को उतारना शुरू कर दिया और सविता भाभी को नग्न अवस्था में अपने सामने खड़ा कर दिया कुछ देर तक तो वह उनके बदन को ऊपर से लेकर नीचे तक निहारता रहा। उसके बाद डाकिया ने जब सविता भाभी की योनि में अपनी उंगली को घुसाया तो वह उनकी चूत की गहराई को समझ चुका था कि सविता भाभी कोई छोटे-मोटे चीज नहीं है।
उसने अपने काले और मोटे लंड को सविता भाभी की योनि में डाल दिया जैसे ही सविता भाभी ने उसके काले मोटे लंड को अपनी योनि में लिया तो उनके मुंह से आवाज आई आह आह आह ऊह ऊह ऊह ऊह आह और उसी के साथ उनकी गरमा गरम चूत के अंदर एक गरम तपता हुआ लंड प्रवेश हो चुका था। उस डाकिया ने सविता भाभी की चूत को फाड कर रख दिया और सविता भाभी का पानी बाहर निकाल दिया। उसने जब सविता भाभी को अपने दोनों हाथों में उठा कर चोदना शुरू किया तो सविता भाभी जैसे उस डाकिया के लिए एक रुई का गद्दा थी। सुरेश डाकिया ने सविता भाभी की चूत का भोसड़ा बनाकर रख दिया लेकिन सविता भाभी को तो यही पसंद था उन्होंने भी डाकिया का भरपूर साथ दिया और अपने मदमस्त अंदाज में उसकी इच्छा को पूरा कर दिया। डाकिया ने आखिरकार भाभी से साइन करवा ही लिया सुरेश डाकिया अब अपने डाकघर के लिए निकल चुका था।