घर में सामूहिक चुदाई

माँ अपनें पेटीकोट को कमर तक ऊपर करके बाएं हाथ से चूत रगड़ रही थी जबकि दाहिनें हाथ की उँगलियाँ चूत के अन्दर बाहर कर रही थी।

Maa ki Samuhik chudai – जहाज़ और चूत का सफर

इसी तरह करीब दस मिनट बाद वो पेटीकोट नीचे कर के सो गई. शायद उसका पानी गिर गया होगा।

थोड़ी देर बाद मैं उठ कर पेशाब करनें चला गया और पेशाब करके वापिस आकर नानी और माँ के बीच सो गया। अब मेरी नजर बार बार माँ पर थी और नींद नहीं आ रही थी। इसलिए मैं नानी की तरफ करवट लेकर सो गया। लेकिन फिर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि नानी की ओर सोनें के कारण अब मेरे दिमाग में नानी की चूत नाच रही थी।

मैं काफी कशमकश में था और इसी तरह करीब एक घंटा बीत गया। अचानक मेरी नजर नानी के चूतड़ पर पड़ी मैंनें देखा कि उनका पेटीकोट घुटनों से थोड़ा ऊपर उठा हुआ था।

अब मेरे शराबी दिमाग में शैतान जाग उठा. मैं उठा और तेल की शीशी ले आया और नानी के पास मुँह करके ख़ूब सारा तेल मेरे सुपारे पर और लंड के जड़ तक लगाया. फिर धीरे धीरे से नानी का पेटीकोट चूतड़ के ऊपर कर दिया।

नानी का मुँह दूसरी तरफ था इसलिए उनकी चूत के थोड़े दर्शन हो गए। अब मैंनें हिम्मत करके अपनें लंड का सुपारा नानी की चूत के मुँह के पास रखा।

मैंनें महसूस किया कि नानी अहिस्ता-अहिस्ता अपनी गांड को मेरे लंड के पास कर रही हैं।

Maa ki Samuhik chudai – आशा का नशा

मैं समझ गया कि शायद नानी चुदनें के मूड में है इसलिए मैंनें भी अपनी कमर का धक्का उनकी चूत पर डाला जिससे मेरा सुपारा नानी की चूत में घुस गया और उनके मुँह से एक हल्की चीख निकली- हाय.. रमेश। आहिस्ता डाल न. तेरा लंड काफी बड़ा और मोटा है. मैंनें भी सालों से चूत चुदवाई नहीं है बेटा.. धीरे-धीरे और आहिस्ता-आहिस्ता करो।

कह कर नानी सीधी लेट गई और अपना पेटीकोट कमर तक ऊँचा कर दिया। अब मैं नानी के ऊपर चढ़ कर धीरे धीरे अपना लंड घुसा रहा था। जैसे जैसे लंड अन्दर जाता था वो उह्हह हफ़्फ़ उफ़्फ़ ह्हह हहाआआ अनन्न आआऐ की आवाज निकालनें लगी।

मैं जब अपना पूरा लंड नानी की चूत में डाल चुका था तो मैंनें नानी की आँखों में आंसू देखे. मैंनें पूछा- क्या आप रो रही हैं?उन्होंनें कहा- नहीं रे। ये तो ख़ुशी के आंसू हैं। आज कितनें बरसों बाद मेरी चूत में लंड घुसा है।

फिर मैं अपना लंड अन्दर-बाहर करनें लगा और जोर जोर से नानी की चूत को चोद कर फाड़नें लगा. फिर नानी भी अपनें चूतड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी और बीच-बीच में कह रही थी- और जोर से चोदो। मेरे राजा। वाकई तुम्हारा लंड इंसान का नहीं घोड़े या गधे का है। Maa ki Samuhik chudai

Maa ki Samuhik chudai – मकान मालिक की बेटी को चोदा

मैं करीब दस मिनट तक उनकी चूत में अपना मोटा-तगड़ा हथियार अन्दर-बाहर कर रहा था।

इसी बीच मैंनें महसूस किया कि माँ हमारी इस क्रिया को सोये-सोये देख रही थी और मन ही मन सोच शायद रही थी कि जब मेरी माँ अपनें नाती से चुदवा सकती है तो क्यों न मैं भी गंगा में डुबकी लगा लूँ। कब तक मैं अपनें हाथों का इस्तेमाल करती रहूंगी? आखिर ये मेरा सगा बेटा थोड़े ही है?

और उठकर कर उसनें अपना पेटीकोट खोल दिया फिर अपनी चूत नानी के मुँह पे रखकर रगड़नें लगी।

पहले तो नानी सकपका गई. फिर समझ गई कि उसकी बेटी भी प्यासी है और अपनें सौतेले बेटे का लंड खाना चाहती है।

फिर नानी माँ की चूत में जीभ डालकर जीभ से चोदनें लगी। इसी दरमियान नानी झड़ चुकी थी और कहनें लगी- बस रमेश. अब सहा नहीं जाता है।

मैंनें कहा- बस नानी. 5 मिनट और।

5 मिनट बाद मेरा सारा वीर्य नानी की चूत में जा गिरा।

अब नानी थक कर सो गई. माँ नें कहा- चलो पलंग पर चलते हैं. वहीं तुम मुझे चोदना।

हम दोनों पलंग पर आ गए. मेरा लंड अभी सिकुड़ा हुआ था. इसलिए माँ नें लंड को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और मैं भी 69 की अवस्था में उनकी चूत चाटनें लगा।

Maa ki Samuhik chudai – बारिश और मेरी चुत चुदाई

हम दोनों यह क्रिया करीब 10 मिनट तक करते रहे और मेरा लंड तानकर विशालकाय हो गया।

अब मैंनें माँ की गांड के नीचे तकिया लगाया और उनकी दोनों टांगों को मेरे कंधे पे रखकर लंड पेलनें लगा।

लंड का सुपारा अन्दर जाते ही बोली- हाय रे दैया। कितना मोटा है रे तेरा लंड.. खूब मजा आएगा।

और फिर मैं माँ को जोर-जोर से चोदनें लगा। वो भी मेरा खूब साथ दे रही थी। पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूँज रही थी। हम काफ़ी देर तक कई तरीकों में चुदाई करते रहे। Maa ki Samuhik chudai

और बाद में मैंनें माँ की गांड भी मारी. जिसमें मेरी माँ को काफी मजा आया।

अब रोज मैं दोपहर में नानी को चोदता था क्योंकि उम्र होनें के कारण कभी-कभी साथ नहीं दे पाती थी और माँ को मध्य रात्रि तक चोदता था।

चूँकि माँ बाँझ थी इसलिए उन्हें कोई डर नहीं था और हम लोग खूब चुदाई करते थे।