मै ये नहीं कहूंगा की 36/28/36 थी लेकिन सबसे प्यारे उसके गाल थे.
सर्दियों में बिल्कुल कश्मीरी सेब की तरह लगते थे!!
मेरा दिल करता था कि मैं उनके गालों पर काट लू .
अभी भी कहानी लिखते समय मेरा लंड पैंट के अंदर खड़ा हो गया है.
जब मैं उसके घर पहुंचा तो मैंने उससे कहा क्या हो गया है बिजली को?
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उसने कहा कि हुआ बिजली को नहीं मुझे है..
मैंने कहा कि कोई बात नहीं मैं सब ठीक कर दूंगा.
उसने बताया कि उसने जानबूझकर बिजली का तार निकाल दिया था.
मै उसकी समझदारी पर खुश हो गया.
मैं उससे इधर उधर की बातें कर रहा था तभी उसने मुझे बेड पर धक्का दिया और मेरे दोनों तरफ पैर रखकर मेरे ऊपर बैठ गई और मेरे होंठों को चूमने लगी.
मुझे तो पहली बार में किश भी करना नहीं आता था.
वह कभी मेरा नीचे का होंठ पीती तो कभी ऊपर का।
मेरा लंड पेंट में तंबू बना रहा था सीमा मुझे किस करती करती अपनी चूत को मेरी पेंट पर रगड़ रही थी.
अचानक मैंने उसे रोका क्योंकि अगर मैं ऐसा नहीं करता तो शायद मैं पेंट में ही झड़ जाता.
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मैंने उसे पलटा और उसके ऊपर चढ़ गया।
मैंने उसकी आंखों में झांका..
उसकी आंखों में अजीब सी खुमारी थी.
उसके गाल शायद आने वाले वक्त को सोचकर लाल हो गए.
मैंने तुरंत देर न करते हुए उसके एक गाल को पीने लगा.
मुझे अजीब सा लग रहा था ऐसा लग रहा था.
जैसे मैं कोई बंगाली रसगुल्ला चूस रहा हूं.
मैं काफी देर तक उसके गालों को चूसता रहा…
फिर मैंने धीरे से उसके गले पर किस किया..
उसकी आंखें वासना के नशे में लाल हो गई..
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मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी मोटी और टाइट चूचियों को दबाने लगा।
मैंने उसके ब्लाउज को खोलने की कोशिश की मगर उसने मना कर दिया कि कोई आ जाएगा.
मैंने भी ऐसा करना मुनासिब नहीं समझा.
मैंने उसके होठों को पीते हुए धीरे से अपना एक हाथ उसके पेटीकोट के अंदर डाला..
वाह!! क्या फूली हुई सी बिल्कुल गोल सी चूत थी!! जिस पर हल्के हल्के रोए थे!!
मैंने धीरे से अपनी एक उंगली उसकी चूत की दरार में घुमाई.
मेरे ऐसा करते ही वह सिसक उठी उसने कसकर मुझे बाहों में जकड़ लिया और अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.
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आगे की कहानी अगले अंक में.. पढ़ना न भूलेँ