पहली चुदाई का नशा – पार्ट 3

पाच मिनिटं बाद मेने वडापाव लिये और वहा से निकल गया . मेडिकल पे पास गया. तभी मेने देखा की , वहा अंदर एक लंडकी और मेडिकल वाली कुछ बात कर रही थी. मेने आवाज दि मॅडम आपके वडापाव. तभी मेरे तरफ देखकर बोली, अरे तुम बहोत जलदी आ गये. एक काम करो पिछे के गेट की तरफ आ जाओ मे उधर आती हु. मे वेसे ही मेडिकल के पिछे के दरवाजे की तरफ गया, और वहा पे रुक गया. करिब दो मिनिट बाद वो आ गयी. मूस्कुराते हुवे बोली तुम तो बडे जदली आ गये. मे बोला जी वह निकाल ही रहा था , गरमा गरम वडापाव, जलदी मिल गये तो जलदी आया.

मेने वडापाव का पार्सल उनके हाथ मे देनेको हाथ आगे किया. उसने थैली लेते हुवे बोला, अरे तुम भी लो ना एक. मे बोला नही मॅडम. मेरी बात काटते हुवे बोली अरे एक काम करो चलो हम साथ मे मिलके खाते है. मे वापस नही कहा. पर वो इस तरह से मुझे कह रही थी की मानो मुझें बाद मे लगा ठीक हे मान लेंनी चाहीये बात. मेने बोला ठीक है मॅडम. तभी उसने मुझसे कहा एक काम करो ये सिडियो से उपर जाओ और पहले दरवाजे के पास रुको मे चावी लेके आती हु. मे बोला ठीक है,पर मेडिकल मे कोण? तब वो बोली अरे कल से मेने एक लंडकी रखी है मेडिकल मे काम करणे के लिये ,शाम के समय के लिये. क्यो की मेडिकल बंद करके बाद मे खाना बनाना बोहोत देर हो जाती थी इसलीये. बस मे अभि आई चावी लेके और वह मेडिकल के अंदर चली गई.

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मेडिकल के दरवाजे के बाजू लगकर सिडिया थी मे सिधा उपर जाकर दरवाजे के पास जा कर रुका. मेरे को लगा शायद वह यही रेहती है. करिब दो मिनिट बाद वो सिडिया चढ कर आ रही थी , मेरी नजर उसके उपर गई, मुसकूराते मेरे पास आ रही थी. क्या गजब माल दिख रही थी. उसने चावी से दरवाजा खोला, और अंदर जाते हुवे बोली आजो ना. मे शरमाते हुवे अंदर जाकर खडा रहा , उसने चावी को रॅक को लगाई और मरे तरफ देखते हुवे बडे प्यार से बोली अरे बेठो सोफे पे शर्माओ मत. मे आज्ञाधारी के माफिक उसकी बात सूनकर सोफे पे बैठा और सामने वाली टी पॉय पे वडापाव की थैली रखी. उसने मुझे कहा “दो मिनिट रुको मे प्लेट लेकरं आई”. वह अंदर की तरफ गई और प्लेट और पाणी का जार और ग्लास लेके आ गई.

वह सब टी पॉय पर रख कर मेरे बाजू मे थोडा अंतर रखकर बेठ गई. मुझे तो बडी शरम आ रही थी. उसने वडापाव प्लेट मे निकाल कर कहा. अरे लो ना शर्माओ मत अपना ही घर समझो. मेने प्लेट से एक वडापाव लिया. उसने भी एक लिया और हम दोनो वडापाव खाने लगे. वडापाव खाते खाते उसने मुझसे पुछा ‘तुम्हारा नाम क्या है’, मे उसकी तरफ देखते हुवे कहा जी मॅडम राजेश. लेकींन सब लोग मुझे राज बुलाते है!! वह एक प्यारी मुसकुराहट से बोली ठीक है मे भी तुझे राज ही बुलाउनगी. चलेगा, मे बडी मस्ती भरी स्वर मे कहा. उसने मुझे पुछा क्या करते हो तुम. मे बोला; जी ११ वी कक्षा मे पढता हु. अरे तुम तो अभी छोटे हो फिर भी तेज लगते हो…. जी मे समजा नही.

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वो- तुम बहोत समजदार हो , ना समज मत बनो.

मैं – जी मॅडम मे सच मैं नही समजा

वो- सुबह वह कंडोम क्या खाली फुलाने को लेके गये थे क्या?

उसकी इसबात से मे थोडा सेहम गया, क्या बोलू कुछ समज नही आ रहा था ,मेने कहा मॅडम जी वह ऐसें ही…….
और आगे कुछ नही बोला.

तभी उसने बोला अरे डरो मत , मुझे अपनी दोस्त संमजके बताओ ना की सच मे तुमने ऊस कंडोम का क्या किया और अभी ये गोली किस लिये लेके जा रहे हो?

मेरी तो मानो दुविधा अवस्था हुवी थी, यह ऐसें सवाल क्यो पुछ रही है मेरे को कुछ समज नही आ रहा था.

तभी उसने बडी प्यार भरी आवाज से कहा.. राजूउउउ… अरे मुझे अपनी दोस्त समाजो… और अपने दोस्त की तरह ही मुझसे बाते करो शर्माओ मत… तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?

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मे उसकी तरफ देखते हुवे बोला जी नही मॅडम.

फिर यह सब चिजें तेरे क्या काम की, तू क्यो लेके गया? उसने प्यार भरे स्वर मे पुछा…

अब मेरे को भी थोडा थोडा अहसास होने लगा की , बात अब डर ने वाली नही है. मामला कुछ और ही लग रहा है.. मेरे मन मे तरह तरह के विचार आने लगे, शायद उसके मन मे कुछ और ही हे. मेरे मन मे उसके लिये अभी तक काम वासना नही जगी थी, मगर अब उसकी बातो से मेरे मनमे लड्डू फुटणे लगे. मगर थोडा डर भी लग रहा था.

मेने थोडी हिम्मत करके उसको कहा, “जी मॅडम जी आपको पता ही होगा की ऊन चीजो का क्या करते है…

मुझे तो पता है लेकींन तुमने इनका क्या किया ये जानना था… एक मिस्कील मुसकुराहट से उसने मुझे कहा…..

उसी समय मेने वडापाव खतम किया और फटाफट पाणी पिया और सोफे से उठते हुवे उसे बोला जी मॅडम जी मे निकल ता हु अभी…… तभी उसने मेरा हाथ पकडकर नीचे बिठाते हुवे कहा, अरे बैठो तो सही, चाय बनाती हु , साथ मे चाय पियेगे फिर चाय पिते पिते मुझे तुमने क्या क्या किया बताना… मुझे बिठाकर वह उठी और दरवाजा लगाकर किचन मे चली गई. अब मुझे लगने लगा की बताये बिना कोई गत्यंतर नही. मेरे दिमाग मे बहोतसे खयाल आने लगे, मुझे अब लगणे लगा था की , उसके दिमाग मे कुछ चल रहा हे, शायद ये मेरे को सारी बाते सूनकर मुझे ब्लॅक मेल तो नही करेगी, या फिर उसके दिमाग मे मुजसे चुदने का खयाल हे. कुछ समज नही आ रहा था. मेरे दिमाग मे सवालोनका चक्र चलने लगा. तभी वो दो चाय के कप लेकरं आई. एक मुझे दिया और एक उसने लेके मेरे पास बैठ गयी. मेने महसुस किया की अब वो थोडी मेरी तरफ सरक कर बेठ गई.

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