फिर अंकल ने मेरे विरोध ना करने की वजह से और ज़ोर से लंड को मेरी गांड पर रगड़ा और अब अंकल मेरी स्कर्ट को ऊपर करके मेरी पेंटी के ऊपर से लंड को रगड़ते रहे। उनका लंड मेरी गोरे मुलायम चूतड़ पर अपनी गरमी का अहसास दे रहा था और अब में भी उनके साथ साथ मज़ा लेने लगी।
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फिर करीब पांच मिनट यह सब होने के बाद लाइट आ गयी और अंकल ने अपने लंड को तुरंत अपनी पेंट के अंदर किया और जल्दी से मेरी स्कर्ट को भी छोड़ दिया।
मैं : ओह भगवान का शुक्र है कि लाइट आ गई।
अंकल : हाँ जो भी हुआ ठीक ही हुआ।
मैं : अंकल अभी मुझे कुछ चुभ रहा था, पता नहीं वो ऐसा क्या था, लेकिन बहुत अजीब था।
अंकल : सांप होगा।
मैं : हाँ ठीक वैसा ही था हाहाहा।
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फिर हम रूम के अंदर पहुंचे, लेकिन तभी अंकल का फोन बजने लगा और अंकल ने बात करना शुरू किया और फिर उनकी बात खत्म होने के बाद उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे अब जाना होगा, कुछ जरूरी काम है और वो मेरे साथ कुछ मिनट ही रुककर वापस चले गये। फिर उसके अगले दिन में अपने ऑफिस चली गई और आज मैंने सफेद कलर का टॉप जिसका गहरा गला और लंबी स्कर्ट पहनी हुई थी, वो भी बिना पेंटी के क्योंकि आज में भी बहुत गरम हो रही थी और जब में अंकल के केबिन में पहुंची तो अंकल ने मुझे देखा और वो मेरे बूब्स को लगातार देखते ही रह गये। मैंने उनसे बोला कि अंकल आप मुझे ऐसे घूर घूरकर क्या देख रहे हो, क्या खा ही जाओगे?
अंकल : कुछ नहीं दो सफेद कबूतर आज़ाद होना चाहते है, में उनको ही देख रहा था, ना जाने कब वो आजाद होंगे।
मैं : अच्छा कभी ना कभी तो आज़ाद होंगे ही।
अंकल : मुझे उसका बहुत इंतजार है में चाहता हूँ कि वो दिन बहुत जल्दी आए।
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फिर में अपने काम में लग गई और में बहुत मन लगाकर अपना काम कर रही थी, लेकिन मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, इसलिए मैंने अंकल से कहा कि प्लीज आप मुझे बता दो यह मुझे समझ में नहीं आ रहा और उस समय में कंप्यूटर पर पूरी झुककर खड़ी हो गयी थी, जिसकी वजह से मेरे बूब्स उनके सामने पूरे बाहर झूल रहे थे, वो नजारा ठीक उनके सामने था। अब अंकल ठीक मेरे सामने खड़े थे और उन्होंने पहले तो कुछ देर मेरे गोरे गोरे बूब्स देखे और फिर वो मेरे पीछे आकर मुझे समझाने लगे और अब मैंने महसूस किया कि उनका लंड पूरा खड़ा हो गया था और वो मेरी गांड पर अपना लंड धीरे धीरे मुझे समझाने के बहाने से रगड़ने लगे, लेकिन अब में भी उनके साथ साथ मज़े ले रही थी इसलिए मैंने उनसे कुछ भी ना कहा।
मैं : अंकल लगता है कि कल वाला सांप आज फिर से आ गया है।
अंकल : हाँ वो अंदर जाने के लिए कोई बिल खोज कर रहा है।
तभी इतने में किसी के आने की आवाज़ आई और हम अलग हो गये और फिर काम करने लगे। फिर शाम को अंकल ने मुझसे कहा कि मेरी कल की चाय तुम्हारे ऊपर बाकी है, क्यों आज मिलेगी या नहीं?
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मैं : हाँ सर क्यों नहीं? आप मेरे साथ जरुर चलिए।
फिर हम दोनों उनकी कार से मेरे रूम के लिए चल दिए और कुछ देर बाद हम रूम पर पहुंचे और मैंने उनके लिए चाय बनाकर अंकल को दे दी और कहा कि आप बैठकर चाय पी लीजिए में अभी अपने कपड़े बदलकर आती हूँ। फिर मैंने दूसरे कमरे में जाकर जल्दी से एक सफेद रंग का टॉप बिना ब्रा और छोटी स्कर्ट पहन ली और में अंकल के पास चली गयी, तब तक अंकल ने अपनी चाय खत्म कर ली थी और में जब उनके सामने गई तो वो मुझे देखते ही रह गये, वो कभी मेरे भूरे रंग के निप्पल जो उस सफेद रंग के टॉप से साफ साफ नजर आ रहे थे उनको देखते और कभी मेरे गोरे पैरों को, वो मुझे एकदम चकित होकर खा जाने वाली नजरो से देख रहे थे। फिर मैंने उनसे कहा कि चलो हम बालकनी में चलकर बातें करते है, वहां पर हमें बाहर की खुली हवा भी मिलेगी और फिर अंकल मेरे पीछे पीछे आ गये।
मैंने अपनी चोर नजर से पीछे की तरफ देखा कि अंकल मेरी मटकती हुई बड़ी सेक्सी गांड को देख रहे है। फिर में बालकनी में आ गयी और अंकल मेरे पीछे खड़े हुए थे और वो अब भी लगातार मेरी गांड और पैरों को देख रहे थे। उनका लंड अब तक तनकर पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और तभी अचानक से अंकल थोड़ा आगे आए और पीछे की तरफ से मुझसे थोड़ा सा चिपक गये, जिसकी वजह से अब उनका फनफनाता हुआ लंड मेरी गांड पर छूने लगा था, वो बहुत जोश में था क्योंकि वो थोड़ी थोड़ी देर में मुझे हल्के हल्के झटके दे रहा था और में उसका आकार गरमी को बहुत अच्छी तरह से महसूस कर रही थी और उसके मज़े भी ले रही थी।
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अंकल : यार पिंकी सच कहूँ तो तुम बहुत सुंदर हो।
मैं : मेरी तारीफ करने के लिए धन्यवाद अंकल।
दोस्तों अब अंकल इतना कहकर सही मौका देखकर थोड़ा और आगे आ गये थे, क्योंकि में भी इतना सब होने के बाद उनकी किसी भी हरकत का बुरा नहीं मान रही थी और ना ही मैंने अब तक उनसे कुछ कहा। मेरी तरफ से विरोध ना होने की वजह से इस बात का उन्होंने पूरा पूरा फायदा उठाना चाहा और मैंने मुस्कुराते हुए उनसे कहा।
मैं : अंकल यह सांप बहुत बेशराम लगता है, कभी भी आ जाता है।
अंकल : हाँ मुझे भी ऐसा ही लगता है, लेकिन वो इसलिए आ रहा है, क्योंकि इसको इसका बिल नहीं मिल रहा है।
मैं : और अगर इसको इसका बिल मिल जाए तो यह क्या करेगा?
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अंकल : कुछ नहीं बस बिल के अंदर जाकर ख़ुशी से नाचेगा, गायेगा और ख़ुशी से झूम उठेगा।
दोस्तों मेरे मुहं से यह जवाब सुनकर अब अंकल मेरी गांड पर अपना एक हाथ घुमाने लगे थे और लंड को रगड़ने लगे थे, जिसकी वजह से में भी अब धीरे धीरे गरम हो गई थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर अंकल ने अपना लंड पेंट से बाहर निकाल लिया और वो एक बार फिर से मेरी गांड पर रगड़ने लगे थे, लेकिन इस बार मुझे उनका लंड अपनी गांड के छेद पर महसूस हुआ।
अंकल : पिंकी आज तो यह सांप एकदम पागल हो गया है।
मैं : आह्ह्ह हाँ मुझे लगता है कि आज यह बिल में ज़रूर घुसकर रहेगा।
फिर अंकल ने मेरे पैरों को नीचे से छूते हुए मेरी स्कर्ट को तुरंत मेरी गांड से ऊपर कर दिया और तब उन्होंने देखा कि मैंने उसके अंदर पेंटी नहीं पहनी है तो वो मेरी गोरी नंगी गांड को देखकर बिल्कुल पागल हो गए।
अंकल : वाह पिंकी यह बिल तो एकदम साफ है, लगता है कि यह पहले से ही तैयार है।
मैं : नहीं अंकल यह बिल तो हमेशा ही साफ रहता है।
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दोस्तों उनके स्पर्श और उनकी ऐसी बातें सुन सुनकर अब में भी पूरी मस्ती में झुकती जा रही थी और डॉगी की तरह अब अंकल ने अपना लंड मेरी गांड के छेद से मेरी चूत के छेद तक रगड़ने लगे, जिसकी वजह से मेरे मुहं से बस आहह आह्ह्ह निकल रही थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
मैं : अंकल थोड़ा ध्यान से यह सांप कहीं बिल में ना घुस जाए।
अंकल : तुम इस बात की बिल्कुल भी चिंता मत करो पिंकी, यह नहीं घुसेगा।
फिर अंकल ने मुझे अपनी बातों में लगाते हुए अपना लंड मेरी चूत के छेद पर रखा और हल्का सा धक्का दे मारा।
मैं : अह्ह्ह्हह आईईई अंकल देखो ना यह सांप तो अब अंदर ही घुसा जा रहा है, आप इसे रोकते क्यों नहीं?
दोस्तों अब अंकल के लंड का टोपा मेरी चूत में पूरा अंदर घुस गया था और मुझे बहुत अजीब सा दर्द और उसके साथ साथ वैसा ही मज़ा भी आ रहा था, जिसको में किसी भी शब्दों में नहीं बता सकती।
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अंकल : यार पिंकी में क्या करूं इतना प्यारा बिल देखकर तो कोई भी सांप इसके अंदर घुस जाएगा, इसमे इस सांप की क्या गलती और अब में भी इसे अंदर जाने से नहीं रोक सकता।
फिर अंकल ने एक बहुत ज़ोर का धक्का मारा, जिसकी वजह से उनका आधा लंड मेरी चूत के अंदर रगड़ता हुआ अपनी जगह बनाता हुआ चला गया और उस वजह से मेरे मुहं से बहुत ज़ोर की आईईई माँ मार डाला उफ्फ्फ्फ़ प्लीज इसे बाहर करो आह्ह्हह्ह में मर गई चीख निकल गयी।
मैं : आह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ प्लीज अंकल अब इसको रोको यह तो मान ही नहीं रहा है, इसने तो मेरे अंदर जाकर ना जाने कैसा दर्द पैदा कर दिया है जिसको अब सह पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल है आह्ह्ह्ह प्लीज कुछ तो करो।
फिर अंकल ने एक और ज़ोर का धक्का मार दिया जिसकी वजह से उनका पूरा लंड मेरी चूत के अंदर पहुंच गया।
अंकल : पिंकी अब यह नहीं रुकेगा, अब तो यह इस बिल को फाड़कर ही मानेगा।
मैं : अंकल लगता है कि यह सांप तो आज बहुत ही जोश में है, हाँ आज तो यह ज़रूर बिल को फड़ेगा।
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अब अंकल ने मेरी चूत में अपने लंड को लगातार धक्के मारने शुरू कर दिए थे और वो ज़ोर ज़ोर से लगातार ताबड़तोड़ धक्के मारने लगे थे। मुझे भी अब बहुत मज़ा आ रहा था और में उनके मोटे लंबे लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर जाते हुए महसूस कर रही थी। उस बालकनी में बाहर की खुली ठंडी हवा में मेरी चुदाई हो रही थी और वो अहसास अच्छा था और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं : अंकल अब आप इस सांप को बोलो कि थोड़ा और स्पीड से अपना काम करे और आज पूरी तरह से फाड़ दे इस बिल को मुझे बहुत अच्छा लगने लगा है उफफ्फ्फ्फ़ आईईईई वाह यह तो बहुत अच्छा काम कर रहा है, इसने मेरी सारी खुजली मिटा दी है उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ वह्ह्ह्ह बहुत मज़ा आ रहा है।
दोस्तों करीब 30 मिनट तक लगातार धक्के देकर मेरी चूत मारने के बाद अंकल अब झड़ गये और इस बीच में करीब पांच बार झड़ चुकी थी और अंकल ने मेरी चूत में ही अपना पूरा माल डाल दिया था और उसकी गर्मी मैंने बहुत अच्छी तरह से महसूस की थी।
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अंकल : क्यों पिंकी मुझे लगता है कि इस बिल में बहुत सारे सांपो ने पहले भी डांस किया है?
मैं : हाँ अंकल यह बिल इससे पहले भी इसके जैसे बहुत सारे सांप खा चुका है।
अब हम रूम में आकर आराम करने लगे और उसके कुछ देर बाद एक साथ ही हम दोनों बाथरूम में जाकर नहाए और वहां पर भी अंकल ने मुझे करीब 20 मिनट तक चोदा और मेरी चुदाई के मज़े लिए।
अंकल : पिंकी मेरी जानेमन वाह मज़ा आ गया आज तुम्हारी को चूत मारकर।
मैं : हाँ अंकल मुझे भी बहुत मज़ा आया।
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दोस्तों फिर अंकल और मैंने बहुत सेक्स किया और उन्होंने मुझे चोद चोदकर मस्त कर दिया। उसके बाद तो हमारी हर रात बहुत रंगीन होती थी।
आया न मज़ा दोस्तो मेरी सेक्सी कहानी पढ़ कर। अंकल का मोटा लंड मेरी कुवारी चुत में लिया।