देहाती चाची की चुदाई

आंटी एकदम से खड़ीं हो गयीं और सिसकियाँ भरने लगी और दुपट्टे से अपने ब्लाउज को साफ करने लगीं।

मैं तुरंत ही पानी लाया और मैं आंटी के ब्लाउज के ऊपर पानी डालने लगा।

शायद चाय गरम होने के कारण आंटी को जलन हो रही थी। आंटी एकदम नीचे बैठ गईं मैं भी उनके पास बैठ गया और उन्हें सॉरी कहा।
आंटी ने कहा- कोई बात नहीं।

मैंने आंटी के बूब्स की तरफ देखा तो काली सी निप्पल साफ दिखाई दे रही थी, अब मेरा लंड भी टाइट हो गया था।

मैं अपने काबू में नहीं रहा और मैं अपना एक हाथ आंटी के बूब्स के ऊपर रख कर उसे सहलाने लगा।

आंटी एकदम भड़क गयीं और कहने लगी- यह क्या कर रहे हो?

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मैं भी एकदम चौंक गया, मैंने वहाँ से हाथ हटा लिया और कहने लगा- आपके ऊपर अभी चाय पड़ी है, उसे साफ कर रहा था।

मैंने आंटी से कहा- प्लीज आंटी, मुझे साफ करने दीजिये ना मुझे ये अच्छा लग रहा है।

आंटी यह सुनकर मुस्कुराने लगीं और कहा0 ठीक है.. कर दो साफ… लेकिन ठीक से करना।

यह सुनकर तो मैं दोनों हाथ से आंटी के ब्लाउस को साफ करने लगा। मैं तो आंटी के बूब्स को जोर-जोर से दबाने लगा, बहुत ही मजा आ रहा था।

मैंने आंटी से कहा- आंटी, आप बहुत ही सुन्दर और बहुत ही अच्छी हो।

यह सुनकर आंटी ने कहा- सीधे-सीधे बोल ना कि मुझे चोदना चाहता है।

यह सुनकर तो मैं सीधे आंटी के गले लग गया और उनके होंठों को चूमने लगा।

मैं धीरे-धीरे उनके पूरे शरीर को चूमने लगा।

क्या मजा आ रहा था! मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उनके बूब्स चूसने लगा।

क्या बड़े-बड़े निप्पल थे उनके और ऊपर से एकदम काले, मैं तो उन्हें चूसता ही रह गया।

आंटी भरपूर मज़े ले रही थीं और जोर-जोर से सिसकारियाँ भर रही थीं।

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फिर मैंने धीरे से उनके ब्लाउज के पूरे बटन खोल दिये, जैसे ही मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले उनके दोनों बूब्स मेरे सामने आ गये बड़े-बड़े बूब्स थे उनके, मैं तो उन्हें हाथ में ले कर खेलने लगा, मेरे दोनों हाथों में आंटी का सिर्फ़ एक स्तन ही आता था, इतने बड़े-बड़े थे आंटी के बूब्स।

फिर मैं आंटी के बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।

उसके बाद मैंने आंटी का घाघरा उतार दिया, आंटी ने पीले रंग की चड्डी पहन रखा था।

उसके बाद मैंने आंटी की चड्डी भी उतार दी, आंटी की चूत एकदम साफ थी, क्या चिकनी चूत थी!

मैं धीरे-धीरे आंटी की चूत पर हाथ फ़िराने लगा, आंटी ‘अहह… अहह…’ आवाज़ें निकाल रहीं थीं।

मैं पूरे एक घंटे तक कभी आंटी के बूब्स चूसता तो कभी उनकी चूत पर हाथ फ़िराता।

अब आंटी पूरी तरह से गर्म हो चुकीं थीं और बार-बार कह रही थीं- चोदो मुझे… चोदो मुझे।

लेकिन मैं आंटी को और तड़पना चाहता था।

मैंने आंटी से कहा- पहले आप मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसो।

आंटी मना करने लगीं, लेकिन मैं भी कहाँ ऐसे मानने वाला था।

मैंने आंटी को बहुत समझाया, फिर वो मान गईं।

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वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा, ऐसे चूस रही थीं जैसे कि लोलीपोप चूस रही हों।

आंटी मेरे लंड को आधे घंटे तक चूसती रहीं क्यूंकि उन्हें भी मज़ा आ रहा था।

फिर आंटी कहने लगी- अब मुझे और मत तड़पाओ, चोदो मुझे।

फिर मैंने अपना लंड आंटी की चूत पर रख दिया और धीरे से अन्दर डालने लगा।

आंटी की चूत एकदम चिकनी और गर्म थी।

मैंने धीरे से अपना लंड आंटी की चूत के अन्दर डाला और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा।

आंटी ‘आह… आह…’ आवाज़ें निकाल रही थीं।

फिर मैं जोर-जोर से आंटी को चोदने लगा, आंटी जोर-जोर से आवाज़े निकाल रहीं थीं और कह रहीं थीं- फाड़ दो मेरी चूत।

क्या मजा आ रहा था मुझे।

अब मेरा होने वाला था, मैंने आंटी से कहा कि मेरा होने वाला है तो उन्होंने कहा- अन्दर ही डाल दो।

मैंने अपना वीर्य उनकी चूत के अन्दर ही डाल दिया।

मेरी कहानी आपको कैसी लगी, मुझे जरूर बताना।