Savita bhabhi, hindi sex stories: दोस्तों पिछले पार्ट में सुरेश के चाचा जी ने सविता भाभी का हाथ पकड़ लिया था जैसे ही चाचा जी ने सुरेश को देखा तो तुरंत सविता भाभी का हाथ छोड़ दिया सुरेश और चाचा जी साथ में बैठकर बात कर रहे थे।
सुरेश मैंने खाना बना दिया है आप लोग खाना खाने के लिए आ जाओ। चाचा जी किनारे वाली चेयर मे बैठे हुए थे जब चाचा जी उस वक्त मेरे पैरों पर अपने पैर को रगडने की कोशिश कर रहे थे तो मेरी चूत से पानी बाहर निकल रहा था मैंने चाचा जी की तरफ इतना ध्यान नहीं दिया। जब उन्होंने अपने हाथ को मेरे पेट पर लगाया तो मैं अब चाचा जी के इरादो को समझ चुकी थी मुझे चाचा जी के इरादे पूरी तरीके से समझ आ चुके थे। जब मैं रात को बाथरूम में आई तो उन्होने मुझे देखते ही बाहों में पकड़ लिया मैंने चाचा जी को कहा चाचा जी यह ठीक नहीं है। वह मुझे कहने लगे सविता तुम बड़ी ही माल हो तुम्हें देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता है मैं तुम्हें देखे बिना कैसे रहूंगा।
जब चाचा जी ने मुझ को पकड़ा तो मुझे एहसास हुआ कि उनकी गर्मी बाहर की तरफ निकल रही है अब मै कहा रहने वाली थी। उन्होंने मुझे कहा तुम मेरे लंड को बाहर निकालो मैने उनके लंड को बाहर निकाला मैने उनके लंड को देखकर उसे अपने मुंह के अंदर लेने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा। जब मैं चाचा जी के लंड को अपने मुंह में लेकर उसे सकिंग कर रही थी तो मेरे अंदर की आग बढ़ रही थी और चाचा जी भी बहुत ज्यादा गरम हो गए थे। चाचा जी के लंड को चूसकर मैंने पूरी तरीके से गीला कर दिया था और उनका माल गिरने वाला था। मुझे एहसास हुआ कि जैसे सुरेश उठ गए मैंने चाचा जी से कहा चाचा जी मैं अभी चलती हूं लेकिन चाचा जी ने कहा तुम्हें आज मेरे माल को बाहर की तरफ निकालना पड़ेगा। मैंने उनके लंड को दोबारा से अपने मुंह में ले लिया उनका 9 इंच मोटा लंड जब मेरे गले के अंदर जा रहा था तो मुझे उसे चूसने में बड़ा मजा आ रहा था। मैं चाचा जी के लंड को चूसती रही और चाचा जी के लंड का पानी ज्यादा ही अधिक मात्रा में निकलने लगा। मैंने चाचा जी के माल को अपने अंदर ही निगल लिया था वह खुश होकर मुझे कहने लगे सविता तुम बड़ी कमाल की माल हो। मैंने चाचा जी से कहा मैं अब जाती हूं मैं जब कमरे में आई तो सुरेश उठे हुए थे।
वह मुझे कहने लगे तुम कहां चली गई थी? मैंने उनसे कहा मैं बाथरूम में चली गई थी उसके बाद उन्होंने मुझे अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया और मुझे कहने लगे मेरे पास ही सो जाओ मुझे बहुत गहरी नींद आ चुकी थी। अगले दिन सुबह सुरेश मुझे कहने लगे सविता मेरे लिए जल्दी से तुम नाश्ता लगा देना उन्होंने मुझसे पूछा चाचा जी अभी दिखाई नहीं दे रहे। मैंने सुरेश को कहा वह बाहर टहलने के लिए गए हुए हैं बस थोड़ी देर बाद आते ही होंगे मैंने सुरेश के लिए नाश्ता लगा दिया था तभी मैंने देखा चाचा जी भी आ चुके हैं उन्होंने मुझे कहा बहु मेरे लिए तुम चाय बना देना। मैंने उनके लिए चाय बनाई सुरेश और चाचा जी साथ में बैठे हुए थे वह लोग आपस में बात कर रहे थे उन्होंने सुरेश से पूछा बेटा तुम कब वापस लौटोगे। सुरेश ने कहा चाचा जी मुझे आज आने में देर हो जाएगी यह बात सुनकर चाचा जी खुश हो गए और वह मेरी तरफ देखने लगे। मैंने अपनी नजरों को झुका लिया लेकिन मुझे यह बता पता थी चाचा जी मुझे चोदने वाले है अब सुरेश जा चुके थे मैं और चाचा जी घर पर अकेले ही थे। जब मैं सफाई कर रही थी तो चाचा जी मुझे देख रहे थे वह मेरे स्तनों की तरफ देखते तो मैं अपने स्तनों को ढकने की कोशिश करती लेकिन चाचा जी को तो मुझे चोदना ही था। मैं जब नहा रही थी तो उन्होंने दरवाजे को खटखटाना शुरू किया मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया। मैं उस वक्त पूरी तरीके से नंगी थी मेरे नंगे बदन से गर्मी निकलने लगी थी मैं बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। उन्होंने जब मेरी चूत पर अपने लंड को लगाया तो यह सब मैं बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पाई उन्होंने अब मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया। मैंने चाचा जी से कहा चाचा जी आप ऐसा मत करो लेकिन वह कहां मानने वाले थे वह तो मेरी बात सुनने को तैयार ही नहीं थे।
वह मेरी चूत को बड़े अच्छे से चाट रहे थे मुझे मजा आने लगा था। उन्होंने मेरी चूत को चाटकर पूरे तरीके से पानी बाहर निकाल दिया मैं अब बिल्कुल भी रह ना सकी। मैंने चाचा जी को कहा चलिए हम लोग कमरे में चलते हैं अब उन्होंने अपने कपड़ों को उतार दिया। जब उन्होंने अपने कपड़ों को उतारा तो मैं चाचा जी से कहा आप आज मेरे बदन से सारी गर्मी को बाहर निकाल दीजिए। उन्होंने अब मेरे बदन को महसूस करना शुरु कर दिया हम दोनों के बदन पर गर्मी बढ़ती जा रही थी तो हम दोनों को ही अच्छा लगता। उन्होंने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था जब उन्होंने मुझे अपनी बाहों में लिया हुआ था तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था। मुझे ऐसा लगता जैसे कि मैं उनके लंड को अपने मुंह में ले लू मैंने ऐसा ही किया मैंने जब उनके मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर लिया तो मुझे मजा आने लगा। उन्हें भी बहुत ही अधिक मज़ा आने लगा था अब मेरे अंदर की गर्मी बढ चुकी थी मैं उनके लंड को अच्छे से चूसती रही जब तक कि उनका लंड पानी नही छोड़ चुका था। मैंने उनके माल को अपने मुंह मे लेकर अंदर कि तरफ को चूस लिया था। मैंने उनके माल को अपने अंदर लिया तो मेरे अंदर की ताकत बढ़ चुकी थी मैंने चाचा जी से कहा मैं आपको दूध का गिलास पिला देती हूं।
वह कहने लगे हां मेरे लिए तुम दूध ले आओ वह कमरे में लेटे हुए थे और उनका लंड तन कर खड़ा हो चुका था। मै नंगी ही दौडकर रसोई में गई तो मैंने चाचा जी के लिए दूध का गिलास गरम किया और दूध गरम करने के बाद मैंने उन्हें जब दूध दिया तो वह एक ही झटके में पी गए उनके अंदर जैसे अब एक अलग ही ताकत आ चुकी थी। वह मुझे कहने लगे मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है और उन्होंने मुझे घोड़ी बना दिया। घोड़े बनाने के बाद जब उन्होंने मुझे चोदना शुरू किया तो मेरी चूत से पानी बाहर की तरफ निकल रहा था वह बड़े अच्छे तरीके से मुझे चोद रहे थे मेरे अंदर की आग आग अब इतनी अधिक हो चुकी थी कि मेरी चूत से निकलती हुई गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी उन्होंने मुझे कहा तुम्हारी चूत के अंदर तक मेरा लंड जा रहा है मुझे बहुत मजा आ रहा है। अब उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाला और कुछ देर तक मैंने उसे अपने मुंह में लेकर चूसा तो मुझे भी अच्छा लगने लगा और वह कहने लगे तुम अपने गले के अंदर तक लंड को लेकर चूसो। मैंने उसे बहुत देर तक चूसा मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जब मैं ऐसा कर रही थी। चाचा जी कहने लगे चलो तुम अपनी गांड को मेरी तरफ कर लो यह कहते हुए उन्होंने अपने लंड पर तेल की मालिश की और उन्होंने अपने लंड को पूरी तरीके से चिकना बना लिया। मेरी चूत के अंदर जैसे ही उन्होंने अपने लंड को घुसाया तो मुझे लगने लगा चाचा जी मेरी चूत को फाड कर रहेगे और उन्होंने ऐसा ही किया। उन्होंने मेरी चूत पर बहुत तेजी से अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया। वह मुझे कहने लगे तुम्हें देखकर अपने आपको रोक पाना बडा ही कठिन है आज तुम्हें चोदकर मजा ही आ रहा है। मैंने कहा मजा तो मुझे बहुत आ रहा है जब उन्होने अपने माल को गिराया तो उसके बाद हम दोनो आराम से लेटे हुए थे। जब मै उनके साथ लेटी हुई थी उस वक्त दोपहर के 2 बज रहे थे और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में लेटे हुए थे। चाचा जी के लंड का स्वाद चखकर मजा आ गया था।