वह गन्ने की चुदाई आज भी याद है

Savita bhabhi, desi kahani: मेरे जलवे तो हमारे मोहल्ले में पहले से ही थे और हमारे मोहल्ले में जितने भी बूढ़े थे उनके बूढे लंड को मैंने कई बार अपने हाथों से खड़ा किया था और अपनी चूत में लेकर उन्हें पूरे मजे दिए थे। मेरे पति अपने ऑफिस से आए और वह कहने लगे सविता हम लोगों को मामा जी के लड़के की शादी में गांव जाना है। मैंने उन्हें कहा लेकिन हम लोग गांव जाकर क्या करेंगे मेरा तो गांव जाने का बिल्कुल भी मन नहीं है। मैं शहर में ही पली–बढ़ी थी और शहर में मुझे अच्छा लगता था लेकिन मेरे पति के मुझसे लाख कहने पर मैं उनकी बात मान गई। अब हमारा पूरा परिवार गांव चला गया मैं पहली बार ही गांव मे गई थी मैंने इससे पहले कभी भी गांव देखा नहीं था इसलिए मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। मैं अपने आपको बडा ही अकेला सा महसूस कर रही थी लेकिन गांव मैं जो चाचा जी थे मैंने उनके लंड को खड़ा किया तो उन्होंने जिस प्रकार से मेरे चूत तेल लगाकर मारी उससे तो मुझे मजा ही आ गया था और उन्हें भी बहुत मजा आया।
उसके बाद मुझे लगने लगा क्या अब मुझे गांव में रहना चाहिए क्योंकि गांव में जिस प्रकार से चाचा जी ने मुझे चोदा था उससे मुझे मजा आ गया। जब हम लोग शहर लौट रहे थे तो रेलवे स्टेशन गांव से थोड़ा दूर था इसलिए हम लोग कार से ही लौट रहे थे और रास्ते में कार खराब हो गई है। जब रास्ते में कार खराब हुई तो आसपास कोई दिखाई नहीं दे रहा था तभी वहां पर एक नौजवान दिखाई दिया। वह गाड़ी को देखते हुए रुका और कहने लगा भाभी जी क्या हुआ? मैंने उसे बताया हमारी गाड़ी खराब हो गई है और हमें रेलवे स्टेशन जल्दी पहुंचना है। वह कहने लगा मैं आपकी गाड़ी तो ठीक कर सकता हूं मैंने उसे कहा कि लेकिन उसके बदले तुम क्या लोगे? उसने मुझे ऊपर से लेकर नीचे तक देखा तभी मेरे पति आ गए और वह उसे कहने लगे कहो तुम गाड़ी ठीक करने के कितने पैसे लोगे। वह मेरे पति से कहने लगा मे 3000 रू लूंगा। मेरे पति बोले 3000 रू तो बहुत ही ज्यादा है मैं तुम्हें इतने रूपए तो नहीं दे सकता। मैं जब उसके पास गई तो मैंने अपने पति को कह दिया था कि आप लोग कार में ही बैठे रहिए मै उसे पैसे कम करवा लेती हूं।
मैं जब उसके पास गई तो मैंने अपने साड़ी के पल्लू को जरा सा नीचे कर लिया जिससे की मेरे स्तन साफ दिखाई देने लगे थे। वह मुझे कहने लगा हां भाभी कहिए मैंने उसे कहा देखो तुम कार ठीक कर दो उसके बदले मै तुम्हें बहुत कुछ दे सकती हूं। वह मुझे कहने लगा लेकिन आप मुझे क्या दे सकती हैं मेरे लिए तो पैसा ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैंने उसे कहा मैं तुम्हें बहुत कुछ दे सकती हूं अब तुम समझ सकते हो। वह मेरी तरफ देखने लगा वह मेरे स्तनों की तरफ देख जा रहा था। मैंने उसे अपने बदन की गर्मी से नहलाने का पूरा फैसला कर लिया था। मैं जानती थी कि वह मेरी बात जरूर मानेगा और वह मेरी बात मान चुका था। उसने अब गाड़ी ठीक कर दी और उसके बदले उसने हम से कुछ भी नहीं लिया। मैंने उसे कहा था सविता अपनी जुबान की पक्की है और मैं तुमसे मिलने के लिए जरूर आऊंगी। वह मुझे कहने लगा भाभी देखते हैं आप जुबान की कितनी पक्की है। उसके बाद हम लोग वहा से चला आए उसने मुझे अपना नंबर दे दिया था हम लोग शहर को आ गए थे लेकिन मैं उससे मिलना चाहती थी। मै मैकेनिक से मिलना चाहती थी। मैंने उसे अपनी जुबान दी थी इसलिए मैं उससे मिलने के लिए गांव गई। मैं जब गांव गई तो उसने मेरे लिए रुकने की व्यवस्था की थी और मैं उसके घर पर ही रुकी थी उसके घर पर कोई भी नहीं था। मैंने उससे कहा क्या तुम अकेले रहते हो? वह मुझे कहने लगा हां मै अकेला रहता हूं। रामू ने मुझसे कहा कि भाभी मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि आप मुझसे मिलने के लिए आ गई। मैंने उसे कहा सविता कभी किसी से झूठ वादा नहीं करती इसलिए तो सविता तुमसे मिलने के लिए आई है उसके पीछे जरूर कोई बात होगी। मैंने जब यह बात रामू को कहीं तो रामू ने भी तुरंत मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। वह मुझे जब अपनी बाहों में जकड़ कर मेरी गर्मी को बढाने की कोशिश कर रहा था तो मैंने उसे कहा मेरा बचपन से एक सपना था कि मैं गन्ने के खेत मे चुदाई का मजा लूं। रामू कहने लगा चलो भाभी हम लोग गन्ने के खेत में चलते हैं और अब हम दोनों ही गन्ने के खेत में चले आए।
रामू ने सरसों के तेल की शीशी रख ली जब हम दोनों गन्ना के खेत में पहुंचे तो वहां पर रामू ने एक चादर बिछा कर मुझे नीचे लेटा दिया। वह मुझे कहने लगा भाभी आपको कोई दिक्कत तो नहीं है। मैंने उसे कहा तुम्हारे होते हुए मुझे क्या दिक्कत होगी। उसने शराब के दो पेक लगाए और उसके बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाला। जब उसने अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने उसे कहा तुम्हारा लंड तो बड़ा ही मोटा है। वह मुझे कहने लगा भाभी मेरे लंड ने ना जाने कितनी ही औरतों की चूत को फाड़ कर अपना दीवाना बना लिया है यह सुनकर मैंने उसके लंड को जब अपने हाथ में लिया तो उसके मोटे लंड को मै अच्छे से हिला रहा था। मैंने उसे कहा चलो तुम तैयार हो जाओ तो वह कहने लगा भाभी मै तैयार हूं। मैंने जब उसके लंड को मुंह मे डाला तो मैने उसे अपने मुंह मे लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा और उसको भी मजा आने लगा था। मेरे अंदर की गर्मी तो पूरी तरीके से बढ चुकी थी और रामू के अंदर की गर्मी भी बढ चुकी थी। मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी मैंने रामू से कहा मैंने तुम्हारे सामने अपने पैरों को खोल लिया है तुम मेरी चूत को भी फाड़ कर रख दो।
रामू ने कहा भाभी आपकी गुलाबी चूत को तो मुझे पहले चाट लूं। उसने कुछ देर तक मेरी गुलाबी चूत को चाटकर उसे चिकना बना दिया। जब रामू ने मेरी योनि को चाटकर पूरी तरीके से चिकना बना दिया तो मैं अब बहुत ही ज्यादा मजे में आ गई और वह भी पूरी तरीके से मजे मे आ चुका था। वह मुझे कहने लगा अब आपकी चूत मे लंड डालने के लिए तैयार हूं। मैंने रामू से कहा पहले तुम अपने लंड पर तेल की मालिश तो कर लो। वह कहने लगा भाभी अभी कर लेता हूं उसने अब अपने लंड को पूरी तरीके से चिकना बना दिया। उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए उसके बाद जब उसने मेरे कपड़े उतारकर मेरे स्तनों का रसपान करना शुरू किया तो वह मेरे स्तनों का ऐसा चूस रहा है जैसे कि मेरे स्तनों से दूध बाहर निकाल कर ही मानेगा और उसने ऐसा ही किया उसने मेरे स्तनों को तब तक चूसा जब तक मेरे स्तनों से गर्मी बाहर नहीं आ गई थी। अब उसने अपने लंड को मेरी चूत पर लगाया तो मेरे अंदर एक करंट सा दौड़ने लगा। मैंने अपने पैरों को खोल लिया अब उसने मेरी योनि के अंदर एक जोरदार झटका मारा जिससे कि उसका लंड मेरी चूत के अंदर बड़ी तेजी से गया और मेरे मुंह से हल्की सी चीख निकली। मैंने उसे कहा रामू तुमने मेरी चूत फाड़ दी है। वह कहने लगा अरे भाभी कुछ नहीं हुआ बस थोड़ा सा दर्द ही तो हुआ है। मैंने उसे कहा तुम्हारा लंड है या फिर घोड़े का लंड कितना मोटा है तुम मुझे धक्के मार रहे हो तो मजा आ रहा है लेकिन दर्द बहुत हो रहा है। मैंने उसे कहा बस तुम ऐसे ही मुझे धक्के मारते रहो। मेरी चूत के अंदर तक उसका लंड जा चुका था इसलिए उसे मज़ा आने लगा था। उसने मुझे तेल लगाकर ऐसे चोदा जैसे कि वह रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था उसने मेरी चूत का भोसड़ा बना ही दिया था लेकिन मुझे बहुत ही अच्छा लगा और हम लोगों ने गन्ने के खेत में तीन बार चुदाई का मजा लिया फिर मैं उसके साथ उसके घर पर गई और रात मे वही रूकी। अगले दिन रामू ने मुझे रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया था और मैं शहर आ गई। रामू की यादें मेरे दिल में बसी हैं और मैं कभी भी उस गन्ने के खेत की चुदाई को भूल नहीं पाऊंगी क्योंकि जिस तरीके से उसने मुझे उठा उठा कर चोदा था उससे मुझे बहुत ही अच्छा लगा और उसे भी बड़ा मजा आया था।