मेरी चढ़ती जवानी-3 | Savita Bhabhi

Hindi sex story, savita bhabhi xxx:   अब राजीव कुछ दिनों के लिए छुट्टी लेकर घर आ गए थे। जब वह घर आए तो मैं बड़ी खुश थी मैंने राजीव से कहा मैं आपका कब से इंतजार कर रही थी आपने तो मुझे इतने दिनों से तड़पाकर ही रखा हुआ था। राजीव मुझे कहने लगे सविता अब हमारा इंतजार खत्म हो चुका है तुम मेरे साथ पुणे में ही रहोगे। मैं बड़ी खुश थी मैं अब राजीव के साथ पुणे में ही रहूंगी राजीव भी बहुत ज्यादा खुश थे और हम दोनों जब एक दूसरे की बाहों मे थे तो राजीव ने मेरे होठों को चूम लिया और मुझे उस दिन गर्म कर दिया। रात भर वह मेरी चूत का मजा लेते रहे इतने दिनों से उनकी तड़प पूरी नहीं हुई थी तो वह मेरी चूत मारकर अपनी सारी गर्मी को बाहर निकालना चाहते थे। उन्होंने अपने माल को जब मेरे अंदर गिराया तो मैं बड़ी खुश हो गई थी राजीव को मैंने पूरी तरीके से संतुष्ट कर दिया था अब हम लोग पुणे जाने की तैयारी करने लगे। जब हम लोग पुणे जाने की तैयारी करने लगे तो मैंने अपने आस-पड़ोस में सब लोगों को इस बारे में बता दिया था कि हम लोग पुणे जाने वाले हैं।
हमारी कॉलोनी के कुछ पुरुष बड़े ही उदास थे वह लोग मेरी तरफ अपनी प्यासी नजरों से देख रहे थे कि भाभी जाते-जाते कम से कम हमें तो संतुष्ट कर के चली जाओ लेकिन मैं अब अपने पति के साथ में रहना चाहती थी और काफी सालों से हम लोग लखनऊ में ही रह रहे थे इसलिए मैं लखनऊ में बोर हो चुकी थी मुझे भी कुछ नया चाहिए था। जब उस दिन हम दोनों घर का सामान पैक कर रहे थे तो राजीव मुझे कहने लगे मैं तुम्हारी मदद कर देता हूं उन्होंने मेरी मदद की। अब हम लोग पुणे मे शिफ्ट हो चुके थे पुणे मे शिफ्ट हो जाने के बाद हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स का पूरी तरीके से मजा लिया करते और मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब हम दोनों एक दूसरे को संतुष्ट कर दिया करते। एक दिन मैं अपने पड़ोस मे गई हुई थी अब हमारे आस पडोस मे पहचान होने लगी थी। मेरी भी कॉलोनी मे सहेलियां बन चुकी थी मैं जब उस दिन अपनी सहेली कविता के घर गई हुई थी तो कविता घर पर ही थी।
कविता के घर पर एक नौजवान लड़का आया हुआ था, कविता ने मुझे बताया कि वह उसका छोटा भाई है। उसके कंधे पर एक बैग टांगा हुआ था उसकी कद काठी और उसका गठिला शरीर देखकर मैं तो उसकी तरफ ही देखते रही। जब घर आकर मैं उसके बारे में कल्पना करने लगी तो मैं सोचने लगी काश वह मेरी चूत मार लेता तो कितना मजा आता कविता का भाई रोहन बड़ा ही हैंडसम है वह दिखने में बहुत ही अच्छा है। मैं उसके लंड को लेने के लिए तड़प रही थी रोहन को मैं किसी भी तरीके से अपना बनाना चाहती थी और मैं चाहती थी कि वह मेरे साथ मेरे बिस्तर पर लेटा रहे। मैं उसके बारे में सोच रही थी मेरा हाथ मेरी पैंटी के अंदर चला गया मेरा हाथ जब मेरी पैंटी के अंदर गया तो मेरी चूत से बहुत अधिक पानी निकलने लगा था। मैंने अपने पैरों को खोला जब मैंने अपने पैरों को खोलकर अपनी चूत के अंदर अपनी उंगली को करना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। जब मैं अपनी चूत को सहला रही थी तो मेरी योनि से पानी लगातार बाहर की तरफ को निकाल रहा था मेरी चूत से इतना अधिक पानी निकल चुका था कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पाया। मेरी गर्मी लगातार बढ़ती ही जा रही थी मैंने अपनी इच्छा को पूरा किया और उसके बाद मैं बिस्तर पर ऐसे ही लेटी रही। रात को राजीव ने मेरी चूत की खुजली को मिटाया हालांकि उनका मन बिल्कुल भी नहीं था वह मेरे साथ अच्छे तरीके से सेक्स का मजा ले पाए लेकिन फिर भी मेरी चूत की खुजली तो मिट ही चुकी थी। अब मैं सिर्फ रोहन की तरफ देखा करती लेकिन वह मेरी तरफ देखा ही नहीं करता। रोहन अपने काम से काम रखा करता वह सुबह अपने ऑफिस चला जाता और शाम को जब वह घर लौटता तो उस वक्त भी वह मुझे कभी देखता नहीं था। मैं अक्सर कविता के घर पर ही रहती थी लेकिन रोहन मेरी तरफ देखता ही नहीं। मैंने भी सोच लिया था कि मैं उसे अपना बनाकर ही रहूंगी। एक दिन मैं घर पर ही थी उस दिन रोहन घर पर आया हुआ था रोहन जब घर पर आया तो वह मुझे कहने लगा सविता भाभी आज दीदी की तबीयत ठीक नहीं है और घर पर कोई भी नहीं है तो मैंने सोचा आपको इस बारे में बता दूं।
मैंने रोहन को कहा ठीक है मैं तुम्हारे साथ अभी चलती हूं मैं रोहन के साथ चली गई। जब मैं कविता से मिली तो कविता ने मुझे कहा आज मेरी तबीयत बिल्कुल भी ठीक नहीं है और घर पर मेरे पति भी नहीं है तुम रोहन के लिए क्या खाना बना दोगी? मैंने कविता से कहा कविता इसमें पूछने की क्या बात है मैं तुम्हारी सहेली हूं और मैं तुम्हारे लिए इतना भी नहीं कर सकती। कविता ने रोहन से कहा तुम आज सविता के घर पर ही खाना खा लेना मैंने रोहन की तरफ देखा तो रोहन ने अपनी नजरें झुका ली। रोहन एकदम ही सीधा साधा लड़का है वह किसी महिला की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखता यह बात मुझे अच्छे से पता थी इसलिए मैं उसके ऊपर डोरे डाल रही थी। मैं चाहती थी कि किसी भी प्रकार से मैं उसे अपना बना लू और उसके लिए मैंने ना जाने क्या कुछ नहीं किया लेकिन वह मुझसे दूर ही रहता। मैं उस दिन खाना बना रही थी जब मैं खाना बना रही थी तै रोहन घर पर आ गया मैंने उसको कहा रोहन तुम कुछ लोगे। वह मुझे कहने लगा नहीं भाभी कुछ नहीं लूंगा मैंने रोहन को पानी दिया जब मैं उसे पानी देने के लिए झुकी तो रोहन मेरे स्तनो को देखने लगा मेरे स्तन मेरे ब्लाउज को फाडते हुए बाहर की तरफ आ रहे थे। रोहन मेरी तरफ देख रहा था अब मैं उसके सामने अपनी गांड मटकाते हुए रसोई मे चली गर्इ। अब मै खाना बना चुकी थी मेरे पति घर पर आ चुकी थे वह बड़ी देर मे घर आ रहे थे।
रोहन और राजीव आपस मे बात कर रहे थे उन लोगों की आपस में काफी कम बार मुलाकात हुई थी लेकिन राजीव को यह बात पता थी कि वह कविता का भाई रोहन है। मेरे मन मे तो सिर्फ यही चल रहा था कि मैं रोहन के साथ कब हमबिस्तर होंगी। उस दिन हम लोगों ने साथ में डिनर किया अभी भी कविता की तबीयत खराब थी इसलिए मैंने उसे टिफिन पैक कर दिया हालांकि अगले दिन मैं कविता से मिलने गई थी तो कविता ने मुझे कहा मेरा खाने का बिल्कुल मन नहीं था अब कविता की तबीयत थोड़ी बहुत ठीक होने लगी थी।  कुछ दिनों तक तो रोहन ने हमारे घर पर ही खाना खाया उस दौरान में उसे अपने बदन के जलवे दिखा दिया करती। रोहन की याद में जब मैं अपनी चूत में उंगली डाला करती तो मुझे अच्छा लगता और अपने पति से ही मुझे अपनी चूत की गर्मी को मिटाना पड़ता। मैं चाहती थी रोहन के साथ में अपनी जवानी को सफल बनाऊ और मैं उसी मौके के इंतजार में थे कि कब वह मौका आएगा जब रोहन और मैं एक दूसरे के साथ हमबिस्तर हो जाएंगे। मैं कुछ दिनों से मॉर्निंग वॉक पर जाने लगी थी जब मैं मॉर्निंग वॉक पर जाती तो उस वक्त मुझे हर रोज रोहन दिखाई देता रोहन अपनी सेहत का बहुत ही ध्यान देता था इसलिए उसका कद काठी और उसका शरीर बड़ा ही मजबूत था। मैं जब भी रोहन को देखती तो मेरा मन उसे छूने का होता और मैं अक्सर उसे छूकर अपने अंदर की गर्मी को मिटाने की कोशिश करती। मैं जैसे ही रोहन कुछ छूती तो मुझे एहसास होता जैसे कि मेरी योनि से पानी बाहर निकलने लगा है। मुझे रोहन के साथ बहुत ही लगता मैं जब भी रोहन से बात करती तो उसे भी अब अच्छा लगने लगा था। रोहन हमारे घर पर आने लगा था मुझे यह समझ नहीं आया आखिर रोहन के अंदर यह परिवर्तन कैसे आ गया क्योंकि वह तो मेरी तरफ देखता भी नहीं था लेकिन अब वह मेरी तरफ देखने लगा था। जब उसने मेरा हाथ को पकड़ा था तो मुझे एक अलग ही करंट सा महसूस हुआ एक दिन वह मुझसे मिलने के लिए आए और उस दिन हम दोनों के बीच लिप किस हो गया था।