पडोसी को दो दिन का पति बनाया- 1

Hindi sex kahani, savita bhabhi:   मैं अपने देवर के कमरे में गई वह सोया हुआ था। मैंने उसे उठाया तो वह उठ नहीं रहा था फिर मैंने उसके गाल पर हाथ फेरा तो उसने मेरे हाथ को पकड़ते हुए कहा अरे भाभी आप यहां क्या कर रही हैं? उसने मुझे अपनी तरफ खींचा जब उसने ऐसा किया तो मैं उसके ऊपर लेट गई उसका लंड मुझसे टकराने लगा था मेरे स्तन उसकी छाती से टकराए जा रहे थे उसने मुझे अपने नीचे लेटात हुए चूमना शुरू कर दिया। यह देख मैंने उसे कहा तुम यह सब मत करो अगर तुम्हारे भैया ने देख लिया तो वह मेरे बारे में क्या सोचेगे। वह तो मेरे ऊपर चढ़ने के लिए तैयार था और अपने गर्मी को निकालने के लिए तैयार था। वह किसी भी हालत में मेरी चूत का मजा लेना चाहता था मैंने उसे मना किया लेकिन वह मेरी बात नहीं मान रहा था उसने मुझे कहा भाभी आप दरवाजा बंद कर लो। मैंने उसे कहा नहीं मैं जा रही हूं लेकिन वह मेरी बात नहीं माना उसने दरवाजा बंद कर लिया। अब उसने अपने लंड को बाहर निकाला मैंने उसे कहा देखो यह सब ठीक नहीं है लेकिन उसने मुझे कहा भाभी आप इसे अपने मुंह में ले लो देखो मैं कितना तड़प रहा हूं यह कहकर उसने अपने लंड को हिलाना शुरू किया।
उसकी गर्मी बढती जा रही थी मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा उसको भी अच्छा लग रहा था। मैंने उसके लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर चूसा तो मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी। मेरे अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैं उसके लंड को अपने मुंह मे लेकर तब तक चूसती रही जब तक उसके लंड से पानी बाहर नहीं आ गया। उसने मुझे कहा भाभी आपने तो मुझे पूरी तरीके से गर्म कर दिया है, मैंने उसे कहा तुम अब जल्दी से बाहर चलो लेकिन वह मेरी बात कहा मान रहा था। उसने मेरी साड़ी को ऊपर करते हुए मेरे लंड को नीचे उतार दिया और मेरी चूत के अंदर उसने अपने लंड को घुसा दिया। जब उसने अपने मोटे लंड को मेरी चूत के अंदर घुसाया तो वह कहने लगा सविता भाभी आपकी चूत बड़ी कमाल की है। मैं भी उत्तेजना में आ चुकी थी मैं अब अपने आपको रोक नहीं पा रही थी मैं उसका साथ देने के लिए मजबूर हो चुकी थी क्योंकि मेरी चूत से निकलता हुआ पानी कुछ ज्यादा ही अधिक हो चुका था।
मैं उसके लिए तड़पने लगी मैं अपनी चूतडो को उसके लंड से टकराने लगी थी उसको मजा आने लगा था और मुझे भी मज़ा आने लगा था। हम दोनों के अंदर की गर्मी बढ़ती जाती थी वह मुझे बड़ी जोरदार तरीके से धक्के मार रहा था मुझे उसके मोटे लंड को अपनी चूत मे लेने में मजा आने लगा था और मेरे अंदर की गर्मी लगातार बढ़ती जा रही थी। मेरी चूत से बहुत अधिक मात्रा में पानी निकलने लगा था वह मुझे कहने लगा मेरे लंड से पानी बाहर निकलने वाला है। मैंने उसे कहा तुम अपने माल को मेरी चूत में गिरा दो उसने भी मेरी चूतड़ों को पकड़ते हुए मुझे बड़ी जोरदार तरीके से धक्के देना शुरू किया जिससे कि मेरा शरीर हिल जाता और मेरे अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ गई कि उसका माल जब मेरी चूत में गिरा तो मुझे अच्छा लगने लगा। मैंने अपने देवर से कहा देवर जी क्या अब चले? वह कहने लगा हां भाभी चलो अब हम लोग अब बाहर आ गए थे। हम दोनों जब बाहर आए तो मेरे पति सोहन मेरा इंतजार कर रहे थे वह कहने लगे सविता तुम कहां चली गई थी? मैंने उनसे कहा मैं बाहर चली गई थी। उन्होंने देवर जी से पूछा क्या तुम कॉलेज नहीं जा रहे हो? वह कहने लगा नहीं भैया आज मेरा कॉलेज जाने का मन नहीं है इसलिए मैं आज घर पर ही हूं। देवर जी मेरी तरफ देख रहे थे मैंने अपने देवर की ओर देखकर कहा आजकल आपका पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा। वह मुझे कहने लगा हां भाभी आजकल मेरा पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा है। मेरे पति ने कहा सविता आज मैं घर जल्दी आ जाऊंगा। मैंने उनसे कहा मैं आज अपनी बहन के घर जा रही हूं। वह कहने लगे लेकिन तुम वहां से कब तक वापस आ जाओगी। मैंने उनसे कहा मैं वहां से शाम के वक्त लौट आऊंगी तो सोहन कहने लगे ठीक है। उस दिन मैं अपनी बहन के घर चली गई जब मैं अपनी बहन के घर गई तो उस दिन जीजाजी घर पर ही थे। वह मुझे कहने लगे सविता तुम कैसी हो? मैंने उन्हें बताया मैं तो ठीक हूं। मैंने उन्हें कहा आप तो मुझसे मिलने के लिए आते ही नहीं है। वह कहने लगे तुम्हें तो पता ही है समय का कितना आभाव है।
मैं अपने काम की वजह से बिजी रहता हूं वह तो आज मेरे पास समय था तो मैंने सोचा कि तुम्हारी बहन के साथ समय बिता लूं। मैंने जीजा जी से कहा यह तो आपने बड़ा ही अच्छा किया जो आप दीदी के साथ समय बिताने के बारे में सोच रहे है। उस दिन शाम के वक्त मै घर लौट आई जब मैं शाम को घर लौटी तो मेरे पति सोहन ने मुझे कहा आज हमारे घर पर उनके मामा जी आने वाले हैं। मैंने सोहन से कहा वह कब तक आएंगे। सोहन कहने लगे वह थोड़ी देर बाद पहुंचते ही होंगे मैंने और मेरी सासू मां ने उस दिन रात का खाना बनाया। जब हम लोगों ने खाना बना लिया था तो वह लोग भी घर पर पहुंच चुके थे वह लोग उस रात को हमारे घर पर ही रुके। उस रात मैं और सोहान एक दूसरे की बाहों में लेटे थे वह कहने लगे सविता कितने दिन हो गए है मैने तुम्हे छूआ भी नहीं है। मैंने सोहन की तरफ देखो और कहा आप ऑफिस से आते हैं तो थके रहते हैं। यह बात सुनकर सोहन ने मुझे कहा तुम आज मेरी गर्मी को पूरा तरीके से मिटा दो। मैंने भी सोहन के लंड को अपने मुंह में ले लिया जब मैंने ऐसा किया तो सोहन को मजा आने लगा।
मैं तब तक सोहन के लंड को चूसती रही जब तक सोहन के लंड से पानी बाहर नहीं आ गया। मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था जब मैं सोहन के लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी मैंने सोहन के अंदर की गर्मी को बढा दिया था सोहन भी उत्तेजित होने लगे थे। सोहन ने मुझे कहा मैं तुम्हारे बदन को आज चाट कर अपना बनाना चाहता हूं सोहन ने मेरे बदन को चाट कर गिला कर दिया। सोहन ने मेरी चूत को चाटते हुए पानी को बाहर निकाल दिया। सोहन ने मेरी चूत मे लंड घुसेड दिया, वह मुझे जोरदार झटके मारने लगे। उनका लंड मेरी चूत की दीवार से टकरा रहा था जिससे कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। सोहन जिस प्रकार से धक्के मारते उस से मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ जाता और सोहन को अच्छा लगता। सोहन मेरी चूत के मजे जिस तरह ले रहे थे उस से मुझे लग रहा था वह मेरी चूत को आज फाड़ कर रख देंगे। उन्होंने मुझे कहा तुम अपने पैरों को खोलो मैंने भी अपने पैरों को खोला उन्होने अपने लंड पर तेल की मालिश करते हुए मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। मेरे अंदर की गर्मी बढ़ चुकी थी सोहन का माल बाहर आने लगा था जैसे ही सोहन का वीर्य बाहर की तरफ आया तो सोहन ने मुझे कहा आज तो मजा ही आ गया। सोहन बड़े खुश थे उन्होंने मेरी चूत के मजे जिस प्रकार से लिए उससे मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढी हुई थी। जब सोहन ने मुझे बताया वह 2 दिनों के लिए अपने ऑफिस टूर से बाहर जा रहे हैं तो मैं भी अब इस बात से बड़ी बेचैन हो गई थी कि 2 दिनों के लिए सोहन अपने काम से बाहर चले जाएंगे तो मै क्या करूंगी क्योंकि मेरा देवर भी अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ कहीं घूमने के लिए जा रहा था। मुझे नहीं पता था कि मैं दो दिन तक क्या करूंगी। मुझे दो दिनों के लिए अपनी चूत की खुजली को मिटाने का बंदोबस्त करना था उसके लिए मैंने पूरी तरीके से हाथ पैर मारने शुरू कर दिए थे। हमारे पड़ोस में रहने वाला परिवार जो कुछ दिनों पहले ही आया था उनसे मैंने बात करनी शुरू कर दी हालांकि उनसे बातचीत तो थी लेकिन इतनी भी नहीं थी।