जीवन में सेक्स का अकाल पड़ने के बाद बहार आई

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मेरा नाम सविता है, मेरे पति पुलिस में है वह अधिकांश अपनी ड्यूटी पर ही रहते हैं लेकिन जब भी वह घर आते हैं तो कहते हैं कि सविता आज तुम मुझे अपने हुस्न का रसपान करवा दो और मैं हमेशा ही उनके कडक लंड को चूसकर उनका वीर्य बाहर निकाल देती हू। उन्हें अपने लंड को मुझसे चूसवाना बड़ा अच्छा लगता है वह कहते हैं तुम मेरी सारी थकान मिटा देती हो। मैं बहुत खुश होती हूं क्योंकि मेरे पति ही घर में कमाने वाले है इसीलिए मैं उनकी पूरी सेवा करती हूं और अपनी पत्नी होने का फर्ज निभाती हूं। एक दिन मेरी मुलाकात मेरी सहेली ललिता ने गगन से करवाई। जब मैं गगन से मिली तो पहले तो उसके हाव भाव समझ नंही पाई लेकिन मै अब उसके साथ रहने लगी वह मुझे दलाल लगा, ललिता भी उसके साथ ही काम करती है। गगन ललिता को अच्छे अच्छे कस्टमर के पास भेजता।
एक दिन ललिता मुझसे पूछने लगी जब तुम्हारा सेक्स करने का मन होता है तो तुम क्या करती हो? मैंने ललिता से कहा जब भी मेरी चूत में खुजली होती है तो मै अपने पति से कह देता हूं और वह मेरी खुजली को शांत कर देते हैं। एक दिन मैं घर पर ही बैठी हुई थी उस दिन मुझे गगन का फोन आया और गगन कहने लगा आज मैंने पार्टी रखी हुई है आप भी हमारे घर पर आ जाइए। मैं जब उसके घर पर गई तो उसके घर पर बहुत सारी जुगाड़ आई हुई थी। मैं उन्हें देखकर ही पहचान गई। ललिता मेरे साथ बैठी हुई थी वह गगन की बड़ी तारीफ कर रही थी गगन सब कुछ कर सकता है लेकिन मुझे गगन को देखकर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। मैंने गगन की सबके सामने इंसल्ट कर दी जब उसकी बेज्जती हो गई तो वह भी मुझसे बदला लेना चाहता था। मै ललिता के घर गई हुई थी ललिता मुझे कहने लगी तुमने गगन की बेज्जती कर के अच्छा नहीं किया वह तुमसे बहुत ही नाराज है।
मैंने ललिता से कहा कि उस दिन गगन कुछ ज्यादा ही बड़ी बड़ी बात कर रहा था मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा इसलिए मैंने भी उसकी बेज्जती कर दी। ललिता मुझसे कह रही थी तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था परंतु उस दिन जो भी हुआ वह सब कुछ नशे में हो गया। कुछ दिनों बाद गगन मुझे मिला तो गगन ने मुझसे कहा तुमने अच्छा नहीं किया मैं तुम्हारी बात से बहुत ही नाराज हूं। मैंने उसे कहा अब वह बात पुरानी हो चुकी है तुम उसे भूल जाओ लेकिन वह कहने लगा मैं बिल्कुल भी नहीं भूल सकता तुमने मेरी सबके सामने बेज्जती की थी, मैं तुम्हारी गांड मार कर रहूंगा तुम्हें भी जिस दिन तड़प होगी उस दिन तुम मुझे जरूर बुलाओगी। मैंने गगन से कहा मुझे तुम्हारी कभी भी जरूरत नहीं पड़ेगी। वह कहने लगा ठीक है देखते हैं यह सब तो समय ही बताएगा। मुझे नहीं पता था कि मेरे पति का ट्रांसफर हो जाएगा। जब उनका ट्रांसफर हो गया तो उसके बाद मुझे भी सेक्स को लेकर तडप होने लगी लेकिन मैं ज्यादा किसी को भी नहीं जानती थी। मैं फिलहाल उंगली डालकर ही काम चला लिया करती थी उंगली से मेरा काम नहीं चल रहा था। मैंने ललिता से कहा यार मेरे पति की कमी बहुत ही खल रही हैं मेरी इच्छा बिल्कुल पूरी नंही हो पा रही है। ललिता ने उस दिन मुझसे कहा इस वक्त तुम्हारी मदद सिर्फ गगन कर सकता है। तुम गगन से इस बारे में बात करो। मैंने ललिता से कहा मैं गगन से नहीं बात कर सकती क्योंकि वह मुझसे बहुत ज्यादा गुस्सा है और वह मेरी बात नहीं सुनेगा। ललिता ने मुझे आश्वासन दिया मैं उसे तुम्हारे घर में भेज दूंगी तुम अपनी चूत में तेल लगा कर रखना और वह जरूर तुम्हें संतुष्ट कर देगा। कुछ दिनों बाद मुझे गगन का फोन आया। गगन मुझे कहने लगा आखिरकार तुम्हें मेरी जरूरत पड़ गई मैंने तो तुम्हें पहले ही कह दिया था कि तुम्हें कभी ना कभी मेरी जरूरत तो पड़ेगी। मैंने गगन से कहा ठीक है अब इतना भी भाव मत खाओ और मुझे तुमसे मिलना है क्या तुम मेरे घर पर आ सकते हो। गगन कहने लगा ठीक है मैं तुम्हारे घर पर आता हूं। जब गगन मुझसे मिलने आया तो मैंने उस दिन नाइटी पहनी हुई थी, मैं उस नाइटी में बहुत ही अच्छी लग रही थी। गगन मेरे घर पर आया उसने मेरी तारीफ की वह कहने लगा आज तुम बड़ी हॉट लग रही हो। मैंने उसे कहा मेरा जिस्म ऐसा है की सब लोग मुझे हॉट कहते हैं। गगन मेरे पास ही बैठा हुआ था और उसने मुझसे पूछा कि तुम्हें क्या आवश्यकता है।
मैंने उसे सारी बात बताई और कहा कि मेरे पति का ट्रांसफर हो चुका है। काफी समय से मैंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया है। मेरी चिकनी चूत  बहुत तडप रही है। गगन मुझसे पूछने लगा क्या तुमने अपनी चिकनी चूत के बाल भी साफ किए हैं। मैंने उसे कहा हां मैंने तो अपनी चूत के पूरे बाल साफ किए हुए है क्योंकि मैं गंदगी बिल्कुल पसंद नहीं करती। गगन ने मुझसे आग्रह किया मुझे भी तुम अपनी चिकनी चूत के दर्शन करवा दो मैं भी देखना चाहता हूं कि तुम्हारी रसभरी चूत का शेप कैसा है। मैंने उसे अपनी रसभरी चूत दिखाई तो उसने मेरी चूत पर उंगली लगाई तो मेरी रसभरी चूत से पानी टपक रहा था। उसने जैसे ही मेरी चूत को चाटा तो मेरा पानी बाहर निकलने लगा मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा। मैंने गगन से कह दिया तुम भी अपने कडक लंड को मेरे मुंह में डाल दो। गगन का मोटा लंड अपने मुंह मे मुझे अब बहुत अच्छा लगा मैं बहुत ज्यादा उतावली हो गई। गगन का लंड जब मैने अपनी योनि के अंदर लिया तो मैं पूरे उतावली हो चुकी थी। मुझसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था गगन ने मझे चोदना शुरू किया तो उसने मुझे कुत्ते की तरह चोदा। जिससे कि मेरी चूत फट चुकी  थी उसने 15 मिनट तक मुझे तेज धक्के मारे और उन झटकों के बीच में जब उसका वीर्य मेरी योनि में गिरा तो मुझे बहुत शांति महसूस हुई। वह मुझे कहने लगा मेरा बदला पूरा नहीं हुआ है।
उसने जब अपने कडक लंड पर सरसों का तेल लगाया तो उसने मेरी मखमली गांड के अंदर अपने काले डंडे को फिट कर दिया मैं चिल्लाने लगी लेकिन वह कहने लगा मैं तुम्हें नहीं छोड़ने वाला उस मादरचोद ने इतनी तेज तेज मुझे बजाया कि मेरी गांड का छेद दर्द होने लगा। वह मेरी गांड मे अपने काले डंडे को डाल रहा था मैं बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। मैंने गगन से कहा कि तुमने तो बहनचोद मेरी गांड के घोडे खोल दिया है ऐसे कोई किसी की गांड मारता है। तुमने भी तो मेरी बेज्जती की थी मैं तुम्हें कैसे छोड़ सकता हू। मैंने भी उसे अपनी गांड टकरना शुरू किया। मै बड़ी तेजी से उसकी तरफ अपनी गांड को टकराती। गगन कहने लगा जिस प्रकार से तुम अपनी गांड को मुझसे मिला रही हो मुझे एक अलग ही प्रकार का आनंद आ रहा है और ऐसा लग रहा है जैसे मेरी इच्छा पूरी हो रही हो मैंने आज तक कितनी औरतों को चोदा है लेकिन तुमने आज मेरी इच्छा पूरी कर दी। गगन कहने लगा सविता तुम्हें मान गए तुम्हारा यौवन तो बड़ा ही कमाल का है और तुम्हारी अदाएं भी बड़ी सेक्सी हैं। मेरी गांड का साइज बहुत बडा है वह ज्यादा समय तक मेरी बड़ी बड़ी गांड को नहीं झेल पाया। जब उसका वीर्य पतन हुआ तो उसके बाद वह मेरा दीवाना हो गया और हमेशा ही मुझसे मिलने के लिए उतावला रहता है। वह मेरे पति की इच्छा को पूरा कर रहा है और मुझे वह संतुष्ट कर देता है। ललिता भी मुझसे हमेशा ही पूछती रहती है क्या तुम्हें गगन ने संतुष्ट किया। मैं उसे कहती हू वह मेरे पास हमेशा ही आता है। जब से गगन मेरे जीवन में आया है तब से मुझे कभी भी लंड की कमी नहीं हुई। गगन मुझे बहुत बड़े बड़े लंड दिलवा दिए करता है। अब मेरी जिंदगी में बहार आ चुकी है मैं अपने जीवन में बहुत खुश हूं। जब भी मेरे पति मुझसे मिलते है तो कहते हैं तुम्हारे चेहरे पर एक अलग ही निखार है। उन्हें नहीं पता कि यह सब उन लोगों का कमाल है जिन्होंने मेरे मुंह पर अपने वीर्य को गिराया है। मैंने अपने पति को भी कोई कमी नहीं रखी है उन्हें भी मैं अपनी दोस्त ललिता के पास लेकर जाती हूं। वह बहुत ही खुश हो जाते हैं जब वह ललिता के यौवन का रसपान करते हैं।