शादी से पहले शारीरिक जरूरतें पूरी करवा ली
Antarvasna, kamukta: कॉलेज में एग्जाम का आखिरी दिन था और उसके बाद शायद सब लोग एक दूसरे से अलग होने वाले थे मेरे दिल में सिर्फ यही चल रहा था कि जब मेरा कॉलेज पूरा हो जाएगा तो क्या उसके बाद भी मैं कभी शांतनु से मिल पाऊंगी। शांतनु और मैं एक ही क्लास में पढ़ते थे लेकिन मेरी हिम्मत कभी शांतनु से बात करने की नहीं हो पाई शांतनु को मैं अक्सर देखा जरूर करती थी लेकिन उससे मैं कभी बात नहीं कर पाई। मैंने शांतनु से कभी अपने दिल की बात नहीं कही थी मेरी सहेली पूजा मुझे अक्सर कहती थी कि तुम शांतनु को अपने दिल की बात क्यों नहीं बताती।
मैं शांतनु को दिल ही दिल चाहती थी लेकिन शायद शांतनु मेरी किस्मत में नहीं था। मैं और पूजा उस दिन बस से घर लौटे और मैं जब घर लौटी तो पापा उस दिन घर पर ही थे पापा मुझे कहने लगे कि महिमा बेटा तुम्हारा पेपर कैसा रहा। मैंने पापा से कहा पापा मेरा एग्जाम तो अच्छा हुआ। मेरी पापा के साथ बहुत बनती थी तो मैंने पापा से अपने दिल की बात कही और कहा कि आज मेरा मन कुछ अजीब सा है। मैंने जब पापा को यह बात कही तो पापा मुझे कहने लगे कि बेटा ऐसा होता है तुम्हें शायद अपने दोस्तों से दूर होने का गम हो सकता है क्योंकि आज के बाद उनसे तुम्हारी मुलाकात कम ही हो पाएगी या फिर हो सकता है कि शायद उनसे तुम्हारी कभी मुलाकात हो ही नहीं। पापा ने जब मुझसे ऐसा कहा तो मैं अंदर ही अंदर दुखी हो गई थी मैंने पापा से कहा पापा जब आप कॉलेज में पढ़ते थे तो आपके साथ भी तो ऐसा हुआ होगा। पापा मुझे कहने लगे कि हां बेटा कॉलेज पूरा होने के बाद मेरे कई दोस्त मुझसे दूर हो गए और शायद अब तक उनसे मेरा कोई संपर्क ही नहीं है। पापा और मैं साथ में बैठे हुए थे तभी मम्मी हमारे लिए चाय बना कर लायी मम्मी कहने लगी लो महिमा बेटा चाय पी लो। मैंने मां से कहा मां मेरा मन चाय पीने का नहीं हो रहा है लेकिन मां की जिद के आगे मुझे चाय पीनी पड़ी और मैंने चाय पी ली घर में मैं एकलौती थी इसलिए पापा मम्मी का मुझे पूरा प्यार मिला।
पापा मुझे बहुत अच्छे तरीके से समझते हैं पापा और मम्मी दोनों ने ही अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाई उन दोनों ने मेरा हमेशा ही साथ दिया है। अब मेरा कॉलेज पूरा हो चुका था और कुछ समय बाद हमारा रिजल्ट भी आने वाला था जब मेरा रिजल्ट आ गया तो उस वक्त मेरी मुलाकात पूजा से हुई। पूजा मुझे कहने लगी कि चलो अब हम लोग पास तो हो ही चुके हैं तो तुमने आगे क्या सोचा है मैंने पूजा से कहा फिलहाल तो मैंने कुछ भी नहीं सोचा है और ना ही अभी इस बारे में मैं कुछ सोचना चाहती हूं। पूजा ने मुझसे शांतनु के बारे में पूछा तो मैंने पूजा से कहा देखो पूजा अब मुझे नहीं लगता कि मैं शांतनु से बात कर पाऊंगी और इस बात को यहीं खत्म कर लेना ही अच्छा रहेगा। मैं दिखने में बड़ी ही सिंपल सी हूं मैं और लड़कियों की तरह बिल्कुल भी नहीं हूं मैं पढ़ने में जरूर अच्छी हूं लेकिन मेरे शर्मीले स्वभाव की वजह से ही मैं शांतनु को अपने दिल की बात कह ना सकी। अब हम लोगों का कॉलेज पूरा हो चुका था और कुछ समय तक मैं घर पर ही थी तो एक दिन मम्मी मुझे कहने लगी की महिमा बेटा तुमने अब आगे क्या सोचा है। मैंने मां से कहा मां फिलहाल तो मैंने ऐसा कुछ भी नहीं सोचा है लेकिन जल्द ही मैं आप लोगों को बता दूंगी कि मैं आगे क्या करना चाहती हूं। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं घर पर ही रहती थी मुझे घर पर एक साल हो चुका था और अभी तक ना तो मैं कहीं नौकरी कर रही थी और ना ही मैंने आगे कुछ करने के बारे में सोचा। उसी वक्त मेरे मामा जी घर पर आए और वह मुझे कहने लगे की महिमा बड़ी हो चुकी है तुम्हें उसके लिए लड़का देखना शुरू कर देना चाहिए। मामा जी ने मम्मी के दिमाग में अब यह बात डाल दी थी कि मेरे लिए लड़का देखना शुरू कर देना चाहिए और मम्मी ने यह बात पापा से कहीं तो पापा भी शायद अब मेरी शादी के लिए लड़का देखने लगे थे। मेरे लिए कई रिश्ते आ रहे थे क्योंकि पापा एक अच्छी जॉब पर थे और हमारा परिवार एक अच्छा परिवार है लेकिन मेरा शादी करने का बिल्कुल भी मन नहीं था परंतु अपने पापा मम्मी के आगे शायद मैं कुछ कह ना सकी और मेरी शादी पापा मम्मी ने तय कर दी।
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि यह सब इतनी जल्दी में हो जाएगा मेरी शादी का दिन भी तय हो चुका था और मेरी सगाई प्रशांत से हो चुकी थी लेकिन मेरे दिल में अभी भी शांतनु बसा हुआ था। मैं हमेशा ही सोचती रहती की शांतनु को क्या मुझे अपने दिल की बात कह देनी चाहिए थी लेकिन मेरे पास इस बात का कोई भी जवाब नहीं था प्रशांत अब मेरी जिंदगी में आ चुके थे और हम लोगों की शादी जल्दी होने वाली थी। जब हम लोगों की शादी होने ही वाली थी उससे कुछ महीने पहले मुझे शांतनु मॉल में मिला जब शांतनु मुझे मॉल में मिला हम लोगों की बहुत कम बातें होती थी लेकिन उस दिन शांतनु ने मुझसे बात की। जब शांतनु ने मुझसे बात की तो मुझे लगा कि शायद वही पुराना प्यार दोबारा से जाग उठा है और मुझे इस बात का डर भी था कि कहीं हम दोनों का रिश्ता आगे ना बढ़ जाए। उस दिन के बाद शांतनु मुझे फोन करने लगा शांतनु को भी शायद यह एहसास हो चुका था कि मैं उससे बहुत ज्यादा प्यार करती हूं और इसी वजह से तो उसने अपने दिल की बात कि जो वह मुझसे कभी कहना ही नहीं चाहता था लेकिन उसने अपने दिल की बात मुझे कह दी।
अब मैं इस दुविधा में थी कि मैं क्या करूं क्योंकि एक तरफ तो मेरा दिल था और एक तरफ मेरे पापा मम्मी, मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे ऐसे समय में क्या करना चाहिए। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था मेरी शादी नजदीक आ चुकी थी लेकिन शांतनु से मैं मिलने के लिए चली गई। मैंने शांतनु से कहा मुझे बहुत डर लग रहा है मैं शादी नहीं करना चाहती। शांतनु का दिल भी मुझे देखकर धडकने लगा था उसने मुझे गले लगाते हुए कहा महिमा मैं भी तुमसे प्यार करता हूं। मैंने शांतनु को कहा देखो शांतनु मैं तुमसे कॉलेज के समय से ही प्यार करती थी लेकिन कभी अपने दिल की बात तुम्हें कह ना सकी इसीलिए हम दोनों एक दूसरे के हो ना सके। शांतनु ने मुझे गले लगा लिया था हम दोनों के अंदर से एक करंट सा दौड़ने लगा शांतनु ने जैसे ही मेरे होंठों को चूमना शुरू किया तो मुझे अच्छा लगने लगा वह मेरे होठों को अच्छे से चूम रहा था। वह जिस प्रकार से मेरे होठों को चूम रहा था उससे मेरे अंदर की उत्तेजना जागने लगी थी और मेरा बदन मैने पूरी तरीके से शांतनु को समर्पित कर दिया था। शांतनु मुझे कहने लगा महिमा हमें ऐसा नहीं करना चाहिए तुम किसी और की अमानत हो। मैं शांतनु के साथ अंतरंग संबंध बनाने के लिए तैयार थी मैंने शांतनु के होठों को चूम लिया। शांतनु मेरे दिल की बात को समझ चुका था उसने मुझे अपनी बाहों में लेकर बिस्तर पर लेटा दिया। जब उसने मुझे बिस्तर पर लेटाया तो वह मेरे स्तनों को दबाने लगा जब वह मेरे होठों को चूम रहा था मुझे अच्छा लग रहा था थोड़ी देर के बाद शांतनु ने मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करना शुरू किया। वह जिस प्रकार से मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था उससे मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था शांतनु को भी बहुत मजा आ रहा था। काफी देर तक उसने मेरे स्तनों का रसपान बड़े अच्छे तरीके से किया जब हम दोनों उत्तेजित हो गए तो शायद वह भी अपने आपको ना रोक पाया और उसने मुझे कहा कि तुम अपनी सलवार उतार दो?
मैंने शांतनु से कहा तुम ही मेरी सलवार को उतार दो शांतनु ने मेरी सलवार को उतारते हुए मेरी पैंटी को भी उतार दिया। जब उसने मेरी पैंटी को उतारा तो वह मेरी योनि पर अपनी जीभ से चाटने लगा जब उसने जीभ को चूत के अंदर तक डाल था तो मुझे बहुत अच्छा लगता और शांतनु को भी बहुत खुशी मिलती। उसने मेरी चूत को बहुत देर तक चाटा और मेरी चूत से पानी बाहर की तरफ निकलने लगा मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और ना ही शांतनु से बिल्कुल भी कंट्रोल हो पा रहा था। शांतनु ने जैसे ही मेरी चिकनी चूत पर अपने लंड को लगाया तो उसने धीरे से मेरी चूत के अंदर लंड को घुसाया तो मैं चिल्लाने लगी। पहली बार ही मैंने किसी के लंड को अपनी चूत के इतने नजदीक आने दिया था शांतनु ने धीरे से मेरी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाया तो मेरी सील टूट चुकी थी और शांतनु का लंड मेरी चूत के अंदर प्रवेश हो चुका था।
शांतनु का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर जा चुका था मेरे मुंह से चीख निकलने लगी थी मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था और शांतनु ने मेरा दोनों पैरों को खोल कर मुझे तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए थे। शांतनु मुझे बहुत देर तक ऐसे ही चोदता रहा जब मैं पूरी तरीके से उत्तेजित होकर चरम सीमा पर पहुंच गई तो मैंने शांतनु से कहा मैं अब रह नहीं पाऊंगी। शांतनु ने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी चूत के अंदर उसने अपने लंड को घुसा दिया शांतनु को मोटा लंड मेरी चूत में प्रवेश हो चुका था वह मुझे बड़ी तेजी से धक्के मार रहा था। उसके धक्के तेज होते ही उसका लंड मेरी चूत के अंदर बाहर होता तो मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो जाती और कुछ क्षणो बाद शांतनु का वीर्य मेरी चूतडो पर गिर चुका था। मैंने शांतनु से कहा तुम मेरी चूतड़ों से वीर्य को साफ कर लो और शांतनु से कहा मेरी चूतडो से वीर्य को साफ कर दो। अब बहुत देर हो चुकी थी और शादी तो मुझे प्रंशात से ही करनी पड़ी लेकिन उसके बाद भी शांतनु और में मिलते रहते थे। अब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं और एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा करते हैं।