मैं रचना के होठों को चूमने लगा
Antarvasna, hindi sex stories: कॉलेज का मेरा आखिरी वर्ष था और जब मेरा कॉलेज पूरा हो गया तो उसके बाद हमारे कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट में मेरा सिलेक्शन हो गया जिससे कि मेरी जॉब मुंबई की एक अच्छी कंपनी में लग गई और मैं मुंबई चला गया। जब मैं मुंबई गया तो मुंबई में मेरे लिए एडजेस्ट करना थोड़ा मुश्किल था। शुरुआती दिनों में मैं थोड़ा बहुत परेशान जरूर था परंतु उसके बाद मैंने सब कुछ अच्छे से मैनेज कर लिया था और मैं बहुत ज्यादा खुश था जिस तरीके से मेरी लाइफ चल रही थी। पापा और मम्मी ने बड़ी मेहनत से मेरी पढ़ाई को पूरा करवाया और उन्होंने मेरे लिए कई सपने देखे थे जिनको मैं पूरा करना चाहता था। मैं मुंबई में घर खरीदने का सपना देखने लगा था लेकिन मेरे लिए यह सब इतना आसान तो नहीं था परंतु फिर भी इतना मुश्किल भी नहीं था कि मैं मुंबई में घर ना खरीद सकूं।
मैंने काफी मेहनत की और थोड़े ही समय मे मेरी सैलरी बढ़ चुकी थी उसके बाद मैं मुंबई में घर खरीदना चाहता था। मैं एक एजेंट के पास गया तो उसने मुझे कुछ फ्लैट दिखाएं उनमे से मुझे एक फ्लैट काफी पसंद आया क्योंकि मैं उसे अपने बजट के हिसाब से ही खरीदना चाहता था। मैंने अब एक फ्लैट बुक करवा लिया था और थोड़े ही समय बाद मैंने वह फ्लैट ले लिया जिसके बाद मैंने पापा और मम्मी को अपने पास ही बुलाने का फैसला कर लिया। हालांकि वह लोग अभी तक तो नहीं आए थे लेकिन फिर भी मैं चाहता था कि वह लोग मेरे पास आ जाएं। मैंने उन्हें कहा कि आप लोग कुछ समय के लिए मेरे पास आ जाइये परंतु वह लोग मेरी बात नहीं माने और मैं अकेले ही मुम्बई के उस फ्लैट में रह रहा था। मुझे वहां पर रहते हुए करीब 6 महीने से ऊपर हो चुके थे और 6 महीने के बाद जब पापा और मम्मी मेरे पास रहने के लिए आ गए तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश हुआ।
हमारा पूरा परिवार एक साथ रहने लगा था मेरी बहन की शादी को हुए 5 वर्ष हो चुके हैं और उससे भी मेरी कभी कबार बात हो जाती है। उसकी शादी इंदौर में हुई है और उससे मेरी जब भी फोन पर बात होती है तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता है और वह भी काफी ज्यादा खुश रहती है जब भी हम लोग एक दूसरे के साथ बातें किया करते हैं। बहुत दिन हो गए थे अभी तक हम लोगों ने एक दूसरे से बात ही नहीं की थी और एक दिन मैंने सोचा कि क्यों ना मैं दीदी को फोन करूं। उस दिन मैं घर पर ही था मैंने थोड़ी देर तक दीदी से फोन पर बातें की और फिर उसके बाद मैंने मां को फोन दे दिया मां और दीदी काफी देर तक एक दूसरे से फोन पर बातें करते रहे थे। मुझे उस दिन ध्यान आया कि मुझे अपने दोस्त के घर पर जाना था और मैं जब अपने दोस्त राजीव से मिलने के लिए गया तो उसने मुझे कहा कि आकाश तुम आज हमारे घर पर ही डिनर कर लो।
मैंने उसे मना किया मैंने उसे कहा कि नहीं मैं घर जाऊंगा पापा और मम्मी मेरा इंतजार कर रहे होंगे परंतु वह मेरी बात नहीं माना और कहने लगा कि आकाश तुम्हें आज हमारे घर पर ही डिनर करना होगा। मैं भी उसकी बात को टाल ना सका और मैंने उस दिन राजीव के घर पर ही डिनर किया। मैंने पापा को फोन कर के यह बात बता दी थी तो उन्होंने मेरे लिए खाना नहीं बनाया था। जब मैं घर पर आया तो थोड़ी देर मैं पापा मम्मी के साथ बैठा रहा फिर हम लोग सो चुके थे। अगले दिन मुझे अपने ऑफिस जल्दी जाना था इसलिए मैं अपने ऑफिस के लिए सुबह जल्दी निकल गया था। जब मैं अपने ऑफिस पहुंचा तो उस दिन ऑफिस में मुझे काफी ज्यादा काम था और मुझे उस दिन घर लौटने में भी देरी हो गई थी। जब मैं घर लौटा तो पापा मम्मी मुझसे कहने लगे कि बेटा मुझे लग रहा है कि अब तुम्हारी शादी कर देनी चाहिए। मैंने मां को कहा कि मां अभी मैं शादी नहीं करना चाहता हूं परंतु मां ने मुझे समझाया और कहा कि देखो बेटा तुम्हारी उम्र हो चुकी है और तुम शादी कर लो। मैंने उन्हें कहा कि ठीक है मां मैं थोड़े समय बाद ही इस बारे में सोच लूंगा।
मैं कुछ समय बाद ही इस बारे में सोचने लगा तो मुझे भी लगने लगा कि मुझे अब शादी कर लेनी चाहिए और मेरे लिए कई रिश्ते भी आने लगे थे। एक दिन दीदी ने जब मुझे रचना के बारे में बताया तो मैंने दीदी से कहा कि दीदी क्या रचना से आप मेरी बात करवा सकती हैं। रचना को मैं पहले से ही जानता था जब दीदी की शादी हुई थी उस वक्त भी मेरी बात रचना से हुई थी लेकिन हम दोनों की बात ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाई थी। अब मुझे लगने लगा था कि शायद रचना ही मेरे लिए सही रहेगी। रचना दीदी के पड़ोस में रहती है और रचना के पापा मम्मी से दीदी ने मेरे रिश्ते की बात की तो उन लोगों को भी इस बात से कोई एतराज नहीं था। मैं रचना से फोन के माध्यम से बात करने लगा था और हम दोनों की फोन पर काफी ज्यादा बातें होने लगी थी। हम दोनों जब भी एक दूसरे से फोन पर बातें करते तो हमें अच्छा लगता क्योंकि अब मैं रचना को अच्छे से समझने लगा था इसलिए मैं चाहता था कि उसके साथ मैं जल्द से जल्द शादी कर लूं।
मैंने अपनी फैमिली को इस बारे में बता दिया था उन्हें भी कोई एतराज नहीं था वह लोग रचना के साथ मेरी शादी करवाने के लिए तैयार हो चुके थे। सब लोग अब इस बात के लिए तैयार थे और मैं भी इस बात के लिए तैयार हो चुका था। रचना और मैं अब एक होना चाहते थे तो हम दोनों ने सगाई कर ली थी। हम दोनों की सगाई हो जाने के कुछ ही महीनों बाद हम दोनों की शादी की बात भी हो गई और हम दोनों ने अब शादी करने का भी फैसला कर लिया था। शादी हो जाने के बाद मैं रचना को अपनी पत्नी के रूप में पाकर बहुत ज्यादा खुश हूं और जिस तरीके से वह घर की देखभाल कर रही है उससे मुझे बहुत ही अच्छा लगता है पापा और मम्मी भी बहुत ज्यादा खुश है। रचना और मैं एक दूसरे के साथ बहुत ही ज्यादा खुश हैं। हम दोनों एक दूसरे की जरूरतों को हमेशा ही पूरा कर दिया करते हैं रचना और मेरी शादी को अभी ज्यादा दिन नहीं हुए थे। एक दिन में ऑफिस से घर लौटा मैंने उस दिन रचना के साथ सेक्स करने के बारे में सोचा और हम दोनों एक दूसरे के साथ में सेक्स करना चाहते थे।
मैं रचना के होठों को चूमने लगा था वह भी मेरा साथ देने लगी थी। वह पूरी तरीके से गर्म होने लगी थी और मेरी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढने लगी थी। अब हम दोनों इतने ज्यादा गर्म होने लगे थे मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो रचना ने उसे अपने मुंह में ले लिया और वह उसे सकिंग करने लगी थी। वह मेरे लंड को अच्छे से चूसने लगी थी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा था और उसे बड़ा मजा आ रहा था जिस तरीके से वह मेरे लंड को चूस रही थी। हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होते जा रहे थे। हम दोनों की गर्मी बहुत ही बढ़ने लगी थी मैं बिल्कुल भी नहीं रह पा रहा था और ना ही रचना अपने आपको रोक पा रही थी इसलिए मैंने जब उसके कपड़ों को खोलने के बाद उसकी ब्रा को उतार दिया और मैं उसके गोरे स्तनों को चूसने लगा तो वह मजे में आने लगी और कहने लगी मुझे अच्छा लग रहा है। अब रचना बहुत ही गरम हो चुकी थी उसकी गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ने लगी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा है। ना तो मैं अपने आपको रोक सका।
रचना अपने आपको रोक नही पा रही थी हम दोनों बहुत ज्यादा गर्म होने लगे थे और हमारी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैं और रचना एक दूसरे की गर्मी को बिल्कुल भी झेल नहीं पा रहे थे। मैंने रचना की पैंटी को नीचे करते हुए उसकी चूत को सहलाना शुरू किया वह भी गर्म होने लगी और कहने लगी मेरी गर्मी बहुत ही ज्यादा बढ़ती जा रही है। हम दोनो बहुत ज्यादा गरम हो चुके थे मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था ना तो मैं अपने आप को रोक कर रहा था और ना ही रचना अपने आपको रोक पा रही थी। मैंने उसकी योनि पर अपनी जीभ को लगाकर अंदर की तरफ घुसाने की कोशिश की तो और भी ज्यादा गर्म होने लगी और अपने पैरो को चौड़ी करने लगी जिससे कि उसकी चूत से बहुत ही अधिक पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा था। मैंने उसकी योनि में लंड को टच किया तो वह बहुत ज्यादा गर्म होने लगी थी और मुझे कहने लगी अब अपने लंड को अंदर घुसा दो। मैंने भी एक जोरदार झटके के साथ अपने पूरे लंड को रचना की योनि की दीवार तक घुसा दिया और उसके बाद तो वह पूरी तरीके से गर्म हो चुकी थी। मैं अपने धक्को मै और भी तेजी लाने लगा था। मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर होता तो उसकी सिसकारियां भी बढ़ती जा रही थी और वह बहुत ही ज्यादा गर्म होती जा रही थी।
वह मुझे कहने लगी मेरी गर्मी को तुमने इतना ज्यादा बढ़ा दिया है मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैं भी अब बहुत ही ज्यादा गरम हो चुका था ना तो मैं अपने आपको रोक पा रहा था ना ही रचना अपनी गर्मी को झेल पा रही थी इसीलिए उसने अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लिया। जब उसने ऐसा किया तो मैं उसे बड़ी तेजी से चोदने लगा था। मुझे उसे चोदने में मजा आ रहा था जिस तरीके से मैं उसे चोद रहा था उस से हम दोनों की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। हम दोनों इतने अधिक गर्म हो चुकी थे मैं अपने आपको रोक पा रहा था। मैंने भी उसकी योनि के अंदर अपने माल को गिरा दिया और अपने माल की पिचकारी मैंने रचना की चूत में गिराई तो वह खुश हो गई और मुझे कहने लगी मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं। रचना बहुत ज्यादा खुश थी जिस तरीके से मैंने और रचना ने एक दूसरे की गर्मी को बढ़ा दिया था और हम दोनों ने एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा लिया था।