दोस्त बोले भाभी मान जाओ

दोस्त बोले भाभी मान जाओ

Antarvasna, hindi sex story सुबह उठते ही मैंने जब खिड़की खोली तो बाहर हल्का अंधेरा था और पक्षी चहचा रहे थे मैंने सोचा छत पर चलती हूं। मैं सीढ़ियों से चढ़ती हुई छत पर गई तो मैंने देखा मौसम काफी सुहाना था और आसमान बिल्कुल साफ था लेकिन उस दिन पक्षियों की चहचहाहट कुछ ज्यादा ही हो रही थी। मैंने छत में दो-तीन चक्कर लगाये और उसके बाद मैं सीढ़ियों से नीचे उतर आई जब मैं सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी तभी मुझे मेरी मां का फोन आ गया। मैं सोचने लगी आज मां ने सुबह फोन कर दिया मेरी कुछ समझ में नहीं आया फिर मैंने फोन उठाया मैंने जैसे ही फोन उठाया तो मां कहने लगी सुगंधा बेटी कैसी हो। मैंने मां का जवाब देते हुए कहा मैं तो अच्छी हूं आप सुनाइए आप कैसी हैं और घर में पापा और भाभी कैसे है मां कहने लगी बेटा तुम्हारे पापा तो ठीक है लेकिन तुम्हारी भाभी आजकल अपने मायके गई हुई है।
मैंने मां से पूछा महिमा आजकल कहां है तो वह कहने लगी महिमा आजकल अपने कॉलेज की पढ़ाई में कुछ ज्यादा ही बिजी है उसने ट्यूशन पढ़ाना भी छोड़ दिया है और वह कहती है कि उसे अब ट्यूशन नहीं पढ़ाना। मैंने मां से कहा यह सब तो ठीक है लेकिन आज आपने सुबह के वक्त मुझे कैसे फोन कर दिया मेरी मां मुझे कहने लगी कि मैं सोच रही थी कि काफी दिनों से तुमसे बात नहीं हुई है आज तुमसे बात करने का मन हुआ तो मैंने सुबह ही फोन कर दिया। मैं मां से बात कर ही रही थी कि मैंने घड़ी की तरफ नजर मारी तो घड़ी में उस वक्त 6:30 हो रहे थे मैंने मां से कहा अभी तो सिर्फ 6:30 हुए हैं आज आप जल्दी उठ गई। मां कहने लगी आजकल तुम्हारे पिताजी जल्दी उठ जाते हैं उन्हें कुछ योगा का शौक लगा है और कुछ दिनों से वह योगा करते हैं तो मैं भी उनके साथ सुबह ही उठ जाती हूँ। मैंने मां से कहा मैं भी सोच रही थी कि आप से बात करुं लेकिन समय ही नहीं मिल पाता घर के कामों में इतनी उलझी रहती हूं कि अपने लिए समय निकाल पाना ही मुश्किल होता है। मां कहने लगी कोई बात नहीं बेटी मैं सब जानती हूं मैं तुम्हारी भावनाओं को अच्छे से समझती हूं तभी मां ने पूछा कि आजकल अविनाश क्या कर रहे हैं। मैंने मां से कहा आजकल उन्होंने अपना एक नया कारोबार शुरू किया है मां कहने लगी कुछ समय पहले ही तो अविनाश ने कोई काम शुरू किया था उसका क्या हुआ।
मैंने मां को जवाब देते हुए कहा उन्होंने जो काम शुरू किया थर उसमें उनके पार्टनर ने उन्हें धोखा दे दिया जिस वजह से उनका उसमें नुकसान हुआ और वह अब तक उस नुकसान की भरपाई कर रहे हैं। मां कहने लगी बेटा क्या कुछ पैसे बचते भी हैं मैंने मां से कहा हां पैसे तो बच जाते हैं लेकिन अविनाश थोड़ा परेशान रहने लगे हैं और उनकी परेशानी का कारण सिर्फ और सिर्फ उनके दोस्त के द्वारा दिया गया धोखा है उनके दोस्त ने उन्हें बहुत बड़ा धोखा दिया जिस वजह से उन्हें इतना बड़ा नुकसान सहना पड़ा। मेरी और अविनाश की शादी को अभी दो साल ही हुए थे हम दोनों के जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन अविनाश के नुकसान के बाद से वह थोड़ा चिंतित रहने लगे थे और अपने काम के प्रति कुछ ज्यादा ही सीरियस रहने लगे थे। सब कुछ ठीक चल रहा था अविनाश के पिताजी एक बड़े अधिकारी रह चुके थे इसलिए अविनाश को कभी कुछ नहीं कहते थे वह चाहते थे कि अविनाश अपने काम को अच्छे से करें। अविनाश अपने काम में पूरी मेहनत करते थे लेकिन कोई ना कोई समस्या उनके काम के आड़े आ ही जाती थी जिस वजह से वह परेशान हो जाया करते थे। मुझे भी लगता था कि अविनाश वाकई में अपने काम से परेशान हो चुके थे मैं अविनाश को हमेशा से ही कहती थी कि आप अपने ऊपर हौसला रखिए सब कुछ ठीक हो जाएगा। कुछ समय तक तो कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था परंतु अविनाश को भी शायद नहीं मालूम था कि सब कुछ अब ठीक होने वाला है क्योंकि अविनाश को एक बहुत ही बड़ा प्रोजेक्ट मिलने वाला था। अविनाश ने कंपनी में टेंडर डाला था जिससे कि अविनाश का टेंडर वहां पर पास हो गया और उसके बाद अविनाश को काम मिलने लगे वह बहुत खुश थे। उस दिन अविनाश मुझे कहने लगे कि चलो ना सुगंधा कहीं चलते हैं काफी समय बाद अविनाश के चेहरे पर मुस्कुराहट थी तो मैं भी कैसे मना कर सकती थी।
मैंने अविनाश से कहा लेकिन मुझे तैयार होने में थोड़ा समय लगेगा तो अविनाश कहने लगे ठीक है मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं लेकिन तुम जल्दी से तैयार हो जाना। मैंने अविनाश से कहा ठीक है मैं जल्दी तैयार होती हूं मैं तैयार होने लगी लेकिन मुझे तैयार होने में समय लग गया था अविनाश कहने लगे जल्दी से तैयार हो जाओ मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं हमें चलना भी तो है। जब मैं तैयार होकर आई तो अविनाश मेरी तरफ देखने लगे काफी समय बाद उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी वह मुझे कहने लगे आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो। उसके बाद हम दोनों साथ में मूवी देखने के लिए गए इतने लंबे अंतराल के बाद साथ में मूवी देखना बहुत ही सुखद एहसास था ऐसा लग रहा था कि बस मूवी में ही खोए रहे। अविनाश के साथ समय बिता कर मुझे बहुत अच्छा लगा इतनी खुशी तो शायद मुझे उस वक्त भी नहीं हुई थी जब अविनाश मुझे पहली बार अपने साथ लेकर गए थे लेकिन आज मुझे बहुत खुशी हो रही थी। हम दोनों जब मूवी खत्म होने के बाद बाहर आए तो अविनाश और मैं मॉल के सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर फूड कोर्ट में बैठे हुए थे तभी अविनाश ने मुझे कहा सुगंधा क्या तुम कुछ लोगी।
मैंने अविनाश को कहा नहीं रहने दो लेकिन अविनाश ने मुझसे जिद की और कहने लगे कि तुम्हें कुछ तो लेना ही पड़ेगा। मैंने अविनाश से कहा चलो ठीक है कुछ ले लेते हैं हम दोनों ही पास के एक काउंटर पर गये और वहां पर हम लोगों ने ऑर्डर कर लिया। हम दोनों साथ में बैठ कर बात कर रहे थे तभी अचानक से अविनाश के कंधे पर किसी व्यक्ति ने हाथ रख मैंने भी जैसे ही उस व्यक्ति को देखा उसके बाद वह मुझे देख कर कहने लगा भाभी जी कैसी है। मैंने उस व्यक्ति को पहचाना नहीं लेकिन अविनाश ने पहचान लिया था अविनाश ने उसे गले लगाते हुए कहा कमलेश तुम इतने समय से कहां थे। मैं कमलेश को नहीं जानती थी अविनाश ने उसे हमारे साथ ही बैठने के लिए कहा कमलेश हमारे साथ बैठ गया। जब मुझे अविनाश ने कमलेश का परिचय दिया तो तब मुझे पता चला कि कमलेश अविनाश के बचपन का दोस्त है। मैंने अविनाश से कहा अच्छा तो तुम दोनों की दोस्ती के ही किस्से मुझे माजी सुनाया करती है कमलेश हंसते हुए कहने लगे हां वह हम दोनों की ही किस्से है। हम लोग साथ में काफी देर तक बैठे रहे मैंने अविनाशी कहा कि अब हमें चलना चाहिए। अविनाश ने कमलेश से कहा कि कभी तुम घर पर आना काफी समय हो गया है तुम घर पर नहीं आए हो। कमलेश कहने लगा मैं घर पर जरूर आऊंगा और फिर हम लोग घर लौट आए थे। कमलेश हमारे घर पर आने जाने लगे थे लेकिन कमलेश की नजर मुझ पर कुछ ठीक नहीं थी वह चाहते थे कि वह मेरे साथ संभोग करें लेकिन मैं बिल्कुल भी नहीं चाहती थी परंतु एक दिन उन्होंने मुझे जो पोर्न मूवी दी उसे मैं देखने लगी। उस दिन अविनाश घर पर नहीं थे और उसे देखकर मेरे अंदर भी कुछ अलग ही फीलिंग पैदा होने लगी उसे मैं कमलेश के साथ साझा करना चाहती थी क्योंकि कमलेश के अंदर कुछ तो बात थी और कमलेश को मैंने उस दिन फोन कर कर के बुला लिया। मैंने कमलेश को कहा आप अपने मकसद में कामयाब रहे तो कमलेश कहने लगे भाभी ऐसा कुछ नहीं है मेरे अंदर आपको लेकर कुछ अलग ही फीलिंग थी उसे मैं आप को बयां करना चाह रहा था लेकिन आपने मुझे मना कर दिया।
मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूं मैंने भी कमलेश को रोका नहीं और कमलेश को पूरी छूट दे दी। कमलेश को छूट मिली तो कमलेश ने भी मेरे होठों को अपने होठों में ले लिया और कमलेश जिस प्रकार से मेरे होठों को चूम रहे थे उससे मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था और कमलेश को भी अच्छा लगता। काफी देर तक कमलेश ने मेरे होठों का रसपान किया और जब उन्होंने मेरे होठों से खून निकाल दिया तो मेरे लिए यह एक अद्भुत फीलिंग थी। उन्होंने मेरे कपड़ों को उतारते हुए मेरे नरम और मुलायम स्तनों को अपने मुंह में लिया और उसे चूसने लगे। वह काफी देर तक ऐसा ही करते रहे अब उनके अंदर इस बात को लेकर बेचैनी थी वह मेरी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाएंगे और आखिरकार ऐसा हो गया। जब उन्होंने मेरी योनि को चाटकर उससे पानी बाहर निकाला तो मैं भी अपने आपको ना रोक सकी और जैसे ही उन्होंने मेरी योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो मैं भी चिल्ला उठी। मुझे भी थोड़ा अजीब सा लगा लेकिन बाद में मुझे मजा आने लगा कमलेश का लंड अविनाश से तो मोटा ही था और जिस प्रकार से उन्होंने मेरे दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया उससे तो मैं और भी ज्यादा उनके ऊपर फिदा हो गई। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था और कमलेश भी पूरा आनंद ले रहे थे।
कमलेश मुझे कहने लगे भाभी कसम से आप तो बड़ी लाजवाब हो और आपका बदन किसी परी से कम नहीं है। मैंने कमलेश को कहा आप इतनी भी तारीफ ना कीजिए आप बस मुझे धक्के दीजिए। हम दोनों के बदन से अब गर्मी बाहर निकलने लगी थी और मेरे शरीर से तो पसीना बाहर की तरफ निकल आया था। कमलेश मुझे कहने लगे लगता है अब मैं ज्यादा देर तक आपके बदन को महसूस ना कर सकूंगा मैंने कमलेश से कहा कोई बात नहीं आप अंदर ही अपने माल को गिरा दीजिएगा। कमलेश ने भी अपनी गर्दन को हिलाया और उसी के साथ उन्होंने जैसे राजधानी ट्रेन की स्पीड से मुझे चोदना शुरू किया और कुछ ही देर बाद उन्होंने अपने वीर्य को मेरी योनि के अंदर प्रवेश करवा दिया। मैंने कहा अब तो आपकी इच्छा पूरी हो गई होगी वह कहने लगे हां अब तो मेरी इच्छा पूरी हो चुकी है और मैं जो चाहता था वह भी पूरा हो गया है। मैंने उन्हें कहा चलिए मैं आपको गरमा गरम चाय पिलाती हूं। वह कहने लगे नहीं गर्मी काफी हो रही है आप मुझे शरबत पिला दीजिए तो मैंने उन्हें शरबत पिलाया और उसके बाद वह चले गए। कुछ देर बाद अविनाश आए और अविनाश ने भी मेरे साथ अपनी रात को रंगीन किया।