मेरा और सुजाता का रिश्ता
Antarvasna, desi kahani: मैं कुछ दिनों के लिए अपने काम के सिलसिले में अहमदाबाद गया हुआ था और वहां से जब मैं वापस लौट रहा था तो उस वक्त मैं रेलवे स्टेशन पर बैठा हुआ ट्रेन का इंतजार कर रहा था और दस मिनट के इंतजार के बाद ट्रेन आ गई और मैं ट्रेन में चढ़ा। जब मैंने ट्रेन में अपना सामान रखा तो मेरे सामने ही एक फैमिली बैठी हुई थी उस परिवार के साथ मेरी काफी अच्छी बनने लगी थी और मुझे उस सफर का पता ही नहीं चला। रास्ते भर हम लोगों ने बात की और मैं जब मुंबई पहुंचा तो मुंबई रेलवे स्टेशन से टैक्सी लेकर मैं अपने घर पहुंच गया। जब मैं घर पहुंचा तो उस वक्त पापा घर पर नहीं थे मैंने मां से कहा कि पापा क्या आज घर पर नहीं है तो मां मुझे कहने लगी कि नहीं अभी वह घर पर नहीं है वह अपने किसी दोस्त के घर गए हुए हैं। मैंने मां से कहा कि लेकिन पापा घर कब तक लौटेंगे तो मां कहने लगी कि हो सकता है कि वह रात को घर लौटे।
उस दिन रविवार का दिन था इसलिए मुझे लगा था कि पापा भी घर पर ही होंगे लेकिन पापा घर पर नहीं थे। मां ने मेरे लिए दोपहर का खाना बनाया और हम दोनों ने साथ में लंच किया। मैं अपने रूम में लेटा हुआ था कि तभी दरवाजे की डोर बेल बजी और मेरी आंख खुल गई। मैं जब दरवाजा खोलने के लिए गया तो मैंने देखा दरवाजे पर मम्मी की सहेली अनीता अंटी खड़ी थी। वह हमारे पड़ोस में ही रहती हैं उन्होंने मुझसे पूछा कि रोहित बेटा क्या तुम्हारी मम्मी घर पर ही है मैंने उन्हें कहा हां आंटी मम्मी घर पर ही हैं और फिर वह हम अंदर आ गई। अनीता आंटी हॉल में बैठी हुई थी तो मैंने मम्मी को बुलाया और मम्मी और आंटी बातें करने लगे। मैं अपने रूम में ही लेटा हुआ था क्योंकि मुझे नींद आ रही थी इसलिए मैं सो चुका था।
जब मैं उठा तो उस वक्त आंटी जा चुकी थी और मैंने मां से पूछा कि मां क्या अनीता अंटी चली गई तो वह मुझे कहने लगे कि हां बेटा वह तो चली गई थी। मां ने मेरे लिए चाय बनाई उस वक्त मैं अपने रूम में बैठा हुआ था पापा भी लौटे नहीं थे। पापा जब शाम के वक्त वापस लौटे तो पापा ने मुझसे कहा कि बेटा तुम अहमदाबाद से कब आए तो मैंने पापा से कहा कि पापा मैं तो काफी देर पहले आ गया था लेकिन आप घर पर नहीं थे। पापा ने मुझे कहा कि हां बेटा मुझे कुछ जरूरी काम था इसलिए मुझे जाना पड़ा। अगले दिन मुझे अपने ऑफिस जाना था और मैं सुबह अपने ऑफिस के लिए घर से निकल गया। सुबह के वक्त जब मैं ऑफिस के लिए निकला तो मुझे अपने ऑफिस पहुंचने में घर से काफी समय लग गया था। ट्रेफिक काफी ज्यादा था इसलिए मुझे ऑफिस पहुंचने में काफी समय लगा। जब मैं ऑफिस पहुंचा तो उसके बाद मैं अपने काम में बिजी हो गया। शाम को जब मैं घर लौटा तो मुझे देर हो गई थी मैं अपने ऑफिस से घर लौटा तो उस वक्त शाम के 7:30 बज रहे थे।
घर पहुंचने के बाद मैं अपने रूम में कपड़े चेंज करने के बाद हॉल में आ गया और मैं पापा मम्मी के साथ बैठा हुआ था। थोड़ी देर बाद मां रसोई में चली गई और वह खाना बनाने लगी। करीब एक घंटे बाद मां ने खाना तैयार कर दिया था और फिर हम लोगों ने खाना खाया उसके बाद मैं अपने रूम में चला गया। उस दिन मेरी बात रजत के साथ हुई रजत से काफी दिनों के बाद मेरी फोन पर बातें हो रही थी और उससे मैंने काफी देर तक फोन पर बात की। अगले दिन जब मैं रजत को मिला तो रजत ने मुझे बताया कि वह इंगेजमेंट करने जा रहा है। मैंने रजत को कहा कि यह तो बड़ी अच्छी बात है। रजत और मीनाक्षी एक दूसरे को काफी लंबे समय से डेट कर रहे थे लेकिन अब वह दोनों इंगेजमेंट के लिए तैयार हो चुके थे। जब उन दोनों की इंगेजमेंट हुई तो उस दिन मैं उन दोनों की सगाई में गया हुआ था और वहां पर मेरी मुलाकात मीनाक्षी की सहेली से हुई।
मैं सुजाता से पहले भी मिल चुका था और मेरी उस दिन सुजाता से बहुत ही अच्छे से बात हुई। वह भी खुश थी उस दिन के बाद मैं सुजाता को फोन करने लगा हम दोनों फोन पर एक दूसरे से बातें करने लगे थे। हम दोनों को काफी अच्छा लगता है जब हम दोनों साथ में होते है और हम दोनों भी एक दूसरे को डेट करने लगे थे। यह बात जब मीनाक्षी और रजत को पता चली तो उन्होंने मुझसे इस बारे में पूछा तो मैंने उन्हें कहा कि हां मैं सुजाता को डेट कर रहा हूं। सुजाता और मेरे ख्यालात काफी मिलते जुलते थे और मैं सुजाता के साथ जब भी होता तो मुझे अच्छा लगता। हम दोनों एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझने लगे थे यही वजह थी कि हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ चुके थे और अब हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ गए थे कि हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे।
जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ होते तो हमें काफी अच्छा लगता मैं हमेशा ही सोचता कि मैं सुजाता के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करुं। मैं सुजाता के साथ ज्यादा समय बिताया करता। जब मैं उसके साथ समय बीतता तो मुझे अच्छा लगता था और वह भी खुश होती जिस तरीके से हम दोनों साथ में होते। समय के साथ साथ मेरी और सुजाता की भी नजदीकियां बढ़ती जा रही थी और अब मीनाक्षी और रजत की शादी भी तय हो चुकी थी। जब उन दोनों की शादी तय हुई तो मुझे इस बात की बड़ी खुशी थी और उन दोनों की शादी में मैं और सुजाता गए हुए थे। उस दिन सुजाता ने मुझे अपने पापा से मिलवाया उनसे मिलकर मुझे अच्छा लगा।
सुजाता को मैंने भी अपने परिवार से मिलवाया और उसका भी मेरे घर पर अक्सर आना जाना होता रहता था। यह बात मेरे परिवार को तो पता चल ही चुकी थी कि हम दोनों के बीच में रिलेशन है और हम दोनों का रिलेशन भी अच्छे से चल रहा है। जिस तरीके से मैं और सुजाता एक दूसरे के साथ होते उससे हम दोनों को बहुत अच्छा लगता। मैं सुजाता के बहुत करीब आता चला गया और हम दोनों भी अब चाहते थे कि हम दोनों एक दूसरे से शादी कर ले। जब मैंने सुजाता से इस बारे में कहा तो वह मुझे कहने लगी कि मुझे थोड़ा समय चाहिए और हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत ही ज्यादा खुश है। जिस तरीके से हम लोग एक दूसरे को डेट करते हैं उससे हम दोनों बहुत ही खुश हैं और कहीं ना कहीं सुजाता भी काफी खुश है कि वह मेरे साथ रिलेशन में है। मैं सुजाता के साथ बहुत खुश हूं। एक दिन हम दोनो मेरे घर थे।
घर पर सिर्फ मैं और सुजाता थे। मैं उसकी जांघो को सहलाने लगा था। वह पूरी तरह मचल ऊठी थी। मैंने सुजाता की आग को बढा दिया था। उसके गुलाबी रसीले होंठो पर अपने होंठ लगाकर मैं उसकी गर्मी को बढा रहा था। अब हम दोनो रह नहीं पा रहे थे। मैंने उसके होंठो को बहुत देर तक चूमा और उसकी गर्मी को बढा दिया था। मैंने अब सुजाता से कहा तुम अपने कपडे खोल दो। वह भी अपने कपडे उतारकर मेरे सामने लेट गई। मैंने जब सुजाता की ब्रा को खोला तो उसके गोरे स्तन मेरी आग को बढा रहे थे। मैंने सुजाता से कहा मैं तुम्हारी चूत को भी चाटना चाहता हूं। मैंने जैसे ही उसकी चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो उसकी चूत से पानी निकलने लगा था और सुजाता अब तडपने लगी थी। मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को सटाया और उसकी चूत पर मैं अपने लंड को रगडने लगा था। वह बहुत ज्यादा मचल रही थी और मैं भी तडप उठा था।
मैंने सुजाता की आंखो मे देखा तो वह खुश थी। अब वह मुझसे लिपट कर बोली मुझे और ना तडपाओ मैं रह नहीं पा रही हूं। वह अब रह नहीं पा रही थी और ना ही मैं अपने आप पर काबू कर पा रहा था। मैंने सुजाता की चूत पर अपने लंड को रगडना शुरु किया और उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया था। मेरा लंड सुजाता की चूत के अंदर जा चुका था और उसकी चूत से खून निकल आया था। अब वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी। वह मेरा साथ बहुत अच्छे से देती। मैं उसे तेजी से चोदे जा रहा था। अब वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी और मैं उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को तेजी से कर रहा था। उसकी सिसकारियां बढ रही थी। हम दोनो रह नहीं पा रहे थे। मैंने उसकी चूत पर तेजी से प्रहार करना शुरु किया मैं बहुत ज्यादा मचल रहा था। वह मुझे कहने लगी मैं झड चुकी हूं। वह झड चुकी थी और उसकी चूत के अंदर बाहर मैं अपने लंड को कर रहा था। सुजाता की चूत से निकलती हुई आग को मैं झेल ना सका और उसकी चूत के अंदर अपने माल को गिरा दिया था। मैंने सुजाता की टाइट चूत से लंड को बाहर निकाला तो वह मचल रही थी। उसने मेरे लंड को चुसकर कडक बना दिया था और वह रह ना सकी। अब हम दोनो ने एक दूसरे की आग को दोबारा शांत किया और फिर हम दोनो ने कपडे पहने और सुजाता घर चली गई।