गरम भाभी की मोटी चूत

पर मैं इतना बहादुर नहीं था कि कुछ कर सकूँ।

लगभग 5 मिनट के बाद भूमि दीदी नहा कर बाहर निकली।

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मैं यह देखना चाहता था कि वे कैसी लग रही हैं लेकिन आँखें खोलने का साहस नहीं कर पा रहा था।

उन्होंने अपने कपड़े बदले और लाइट बंद कर दी।

अचानक बच्चे ने रोना शुरू कर दिया और वे उसे अपना दूध पिलाने लग गई।

मैं महसूस कर रहा था कि जैसे यह दूध मैं ही पी रहा था।

बच्चे को दूध पिलाने के बाद वो फर्श पर सोने की बजाये बेड पर सोने की तैयारी करने लगीं।

मेरा दिल जोर जोर से ऐसे धड़क रहा था कि जैसे वो मेरी छाती से बाहर निकल आयेगा।

मैं अपने पर काबू पाने की भरपूर कोशिश कर रहा था कि वो मुझे भाई के जैसे मानती हैं और अपनी मासूमियत की वजह से ही बेड पर सो रही हैं।

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भूमि अपनी पीठ मेरी ओर करके सो रही थी, इसलिए मैं चोर आँख से उन्हें देख रहा था।

उसकी बाईं बाजू उनके पेट के ऊपर थी और दाईं बाजू बच्चे के सर को आसरा दे रही थी।

उसकी बाईं बाजू उसके सांस लेने के साथ साथ ऊपर नीचे हो रही थी।

उनके बालों में से आ रही मादक सुगंध मुझे पागल करे जा रही थी।

उनके बाल नितम्बों तक पहुँच रहे थे और तकिये के ऊपर बिखरे पड़े थे।

मैंने हल्के से अपने आपको एडजस्ट किया और उसके बालों की अच्छे से सुंगंध लेने लगा।

मैं बिल्कुल पागल हुए जा रहा था और अपने आप से बेकाबू हो रहा था।

मेरी मासूमियत और डर पूरी तरह से खत्म हो गए थे, मैं भूमि दीदी को जुनून के साथ देख रहा था।

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मैंने हल्के से अपने हाथ को उसके नितम्बों से दबाया।

हाँ मेरे रब !

कितने कोमल थे ये।

मैंने धीरे से अपने हाथ को उनकी गांड की तरफ सरकाया।

अचानक मुझे लगा कि वो जाग रही थीं और मैंने अपना हाथ पीछे खींच लिया।

मैं पूरी तरह से तनाव में था।

कुछ समय बाद भूमि दीदी ने मेरी तरफ अपना चेहरा घुमाया।

मैंने जल्दी से अपनी आँखें बंद कर लीं और शांत बना रहा।

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उन्होंने अपना दायाँ हाथ मेरे सर के पास किया और मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ चलानी शुरू कर दीं।

फिर अपनी उँगलियों से मेरे माथे, नाक और मेरे लबों पर छेड़छाड़ करने लगीं।

मेरे हालात पूरी तरह से काबू से बाहर हो रहे थे।

उन्होंने मेरी शर्ट के अंदर हाथ डाल कर मेरी छाती पर फेरना शुरू कर दिया।

मैंने लुंगी पहन रखी थी और मेरा लिंग पूरी तरह से सख्त हो चुका था।

उन्होंने अपना हाथ मेरे पेट पर फेरना शुरू कर दिया तो मैं शर्मा गया क्योंकि मैं एक दुबला पतला आदमी था।

उनका हाथ आगे जा रहा था, मैं नहीं चाहता था कि उन्हें मेरे लिंग की स्थिति का पता चले, इसलिए मैं जानबूझ कर खांसा।

इससे उन्होंने अपना हाथ घबरा कर पीछे हटा लिया।

मैं इन्तजार कर रहा था कि वो फिर अपना हाथ मेरे जिस्म पर रखेंगी।

पर वो पूरी तरह डर चुकी थी और गहरे गहरे से सांस ले रही थी।

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अब मैं आगे बढ़ने का फैसला कर चुका था, मैंने अपना हाथ उसके शरीर पर ऐसे रखा कि मैं गहरी नींद मैं हूँ।

जब मैंने अपना हाथ उनके शरीर पर रख रहा था तो यह सीधे उसके स्तन पर चला गया।

मैंने महसूस किया कि उन्होंने ब्रा नहीं डाली हुई थी और बच्चे को दूध पिलाने के वजह से उनके निप्पल गीले थे।

मैंने उसकी नाइटी के ऊपर से ही उसके निप्पल को मसलना आरम्भ कर दिया।

उन्हें पता चल चुका था कि मैं नींद में नहीं हूँ। उन्होंने मेरी तरफ अपना मुँह किया और पूछा- क्या तुम जाग रहे हो?

मुझे थोड़ा साहस हुआ लेकिन मैं नहीं चाहता था कि वो कोई सवाल करें, इसलिए मैं अपना मुँह उनके मुँह के पास ले गया और उनके लबों को पागलपन से चूसने लगा।

पहली बार मैं एक महिला की गंध का आनन्द ले रहा था। मैंने वास्तव में उस खुशबू का आनन्द लिया और उनके माथे को चूमा।

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वो बिना किसी विरोध के मेरे सामने पड़ी थी और मुझे मालूम था कि यह मखमली बदन पूरी रात मजे करने के लिए सिर्फ मेरा है।

मैंने उसके बदन के हर हिस्से से मस्ती करने का फैसला किया।

मैं उनकी आँखों, नाक और गालों को चूमने लगा।

वो अपने हाथ से मेरे बालों को सहला रही थी, कंघी सी कर रही थी।

मैं पूरे आनन्द से उसको गर्दन और गालों को चूम रहा था।

इसके बाद मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और और एक दूसरे को अपने रस का आदान प्रदान करने लगे।

मैंने धीरे से उसके सर को आसरा देकर ऊपर किया और उसके निचले होंठ को हल्के से काट दिया।

मैं उनके कानों को उनको दर्द दिए बिना अपने दांतों से काट रहा था।

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फिर मैंने उनकी गर्दन को चाटना शुरू कर दिया। उनके शरीर की मादक सुगंध मुझे पागल किये जा रही थी।

मैं यह सारा कुछ बड़ा आहिस्ता आहिस्ता कर रहा था।

चूंकि मैं चाहता था कि यह रात उनके लिए (और मेरे लिए भी) यादगार बन जाये।

फिर मैंने उनकी उँगलियों की ओर विशेष ध्यान देते हुए उनको अपने होटों के बीच ले लिया।

भूमि दीदी पूरी तरह से मज़ा ले रही थी, उन्होंने मुझे धीमे स्वर में रुकने को कहा।

इतनी देर में बच्चे के रोने की आवाज सुन कर उन्होंने मुझे हटाया और बेड के एक किनारे पर बैठ कर बच्चे को दूध पिलाने लग गई।

इस समय हम दोनों में कोई शर्म नहीं थी। मैं उनके स्तन देखने की असफल कोशिश कर रहा था।

उनका एक स्तन बच्चे के मुँह में था और दूसरा उसकी नाइटी में था।

उन्होंने मेरी ओर देखा और मेरी हालत देखकर मुस्काने लगी।

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मैं उनका पाँव को पकड़ कर उससे खेलने लगा।

मैं उनके पैर के निचले भाग को सहला रहा था।

उन्होंने धीरे से अपनी नाइटी को ऊपर किया तो मैं उनकी टांगों को चाटने लगा।

मेरा हाथ उनकी जांघों पर रेंग रहा था और मैं बेकाबू होकर अपनी जीभ और हाथ जल्दी जल्दी चलाने लगा।

उन्होंने मुझे कहा- जो करना है, धीरे करो क्योंकि मैं बच्चे को दूध पिला रही हूँ।

जल्द ही उन्होंने बच्चे को दूध पिला कर पालने में लिटा दिया।

पालने में लिटाने के तुरन्त बाद मैंने उनको पीछे से ही पकड़ लिया और उनकी पीठ को चूमने लगा।

मेरा पूरी तरह अकड़ चुका लंड उनके चूतड़ों की दरार के बीच में था और मैं इस स्थिति का पूरी तरह से आनन्द ले रहा था।

मेरे हाथ उनके स्तनों को सहला रहे थे।

फिर मेरा हाथ उनकी नाभि के ऊपर से होता हुआ ‘त्रिवेनी संगम’ पर पहुँच गया।

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मैं उनकी चूत के मखमली बाल नाइटी के ऊपर से ही महसूस कर रहा था।

इसके बाद मैंने उनकी नाइटी को खोलना चालू कर दिया।

नाइटी उतरने के बाद मैंने उसकी पीठ चूमनी शुरू कर दी।

अब भूमि केवल पेंटी में खड़ी थी, उनकी पीठ को चूमते हुए मैंने भूमि की पीठ पर आपने नाखूनों से सर्कल बनाने चालू कर दिए।

मैंने भूमि को पीछे से ही अपनी गिरफ्त में ले लिया।

मैंने अपने हाथ की उँगलियों से उनके स्तनों के निपल्स को मसलना चालू कर दिया।

भूमि के मुख से आनंद भरी सीत्कारें निकलने लगीं।

मैंने भूमि की पैंटी उतरने की कोशिश करी तो उन्होंने हल्का सा विरोध जताया पर मैं इस समय किसी भी विरोध के लिए तैयार नहीं था।

मैंने थोड़ा झुकते हुए भूमि के नितम्बों को चूमना शुरू कर दिया, फिर चाटना और फिर काटना।

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फिर मैंने उनको अपने दोनों बाँहों में कैद कर लिया और अपने हाथों से उसके नितम्बों की नरमाई को महसूस करने लगा।

उनके गालों को चूमते हुए मैं उनको बिस्तर पर ले गया।

फिर मेरे मन में विचार आया, मैं रौशनी में उनको नग्न देखना चाहता था।

मैंने बिजली का स्विच ऑन कर दिया, जिससे भूमि दीदी शर्मा गई और तकिये से अपने आप को छुपाने लगी।

मैंने तकिये को हटा दिया और उनको निहारने लगा।

उनकी नाभि बहुत खूबसूरत लग रही थी, छोटे छोटे सुनहरी बाल नाभि से नीचे की ओर जा रहे थे, घुंघराले बाल और लाल होंठ उनकी चूत को और भी सुन्दर बना रहे थे।

मैंने भूमि की चूत को सूंधने के साथ साथ उसके घुंघराले बालों को चूमना चालू कर दिया।

मैंने अपनी निगाह उनके स्तनों पर डाली और फिर उनसे खेलने लगा।

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यह एक बहुत ही सुन्दर एहसास था।

मैं उनके निपल्स से बचते हुए उनके स्तनों को चाटने लगा ताकि वो अपने चरमोत्कर्ष की बढ़ने लगें।

जब मैं उनके स्तनों को चाट रहा था तब मेरा लिंग उसकी चूत पर मालिश कर रहा था।

उनके स्तनों से खेलने के बाद मैंने उनके निपल्स को चूसना चालू किया।

मेरे मुंह में दूध का स्वाद घुल गया।

फिर मैं उनकी नाभि को चूमते हुए बालों के शुरू होने तक नीचे जाने लगा।

इसके बाद मैंने अपनी जीभ से उसकी जांघों को चाटते हुए अपने एक ऊँगली भूमि की चूत में घुसा दी जहाँ मुझे जेली के जैसे महसूस हुआ।

मैं महसूस कर रहा था कि वे स्वर्ग के जैसे महसूस कर रही हैं।

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उन्होंने अपने पास पड़े तकिये को जोर से पकड़ रखा था तो मैं समझ गया कि वो चरमोत्कर्ष की ओर बढ़ रही हैं।

अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मैंने धीरे से उसकी टांगों को चौड़ा किया और अपना लिंग उसके अंदर डाल कर उस पर सवारी करने लगा।

यह मेरी जिंदगी का सबसे बेहतरीन पल था।

मैं अपना पूरा दवाब अपने लिंग पर डाल रहा था।

कुछ देर बाद हम दोनों चरमोत्कर्ष पर पहुँच गए।

मैंने उसको होठों को धीरे से चूमा और धीरे से उसके कान में कहा ‘धन्यवाद’।

हमें पता ही नहीं चला कि कब हम एक दूसरे के साथ लिपटे हुए उसी मुद्रा में कब सो गये।

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परन्तु अगली सुबह हर रोज़ की तरह उसने सवेरे 7 बजे मुझे चाय के लिए आवाज़ दी और नहाने के लिए कहने लगी।

मैं पूरी तरह हैरान था कि उनका व्यवहार हर रोज़ की तरह सामान्य था।

मैंने उठने की कोशिश की तो महसूस किया कि मैं पूरी तरह नग्न हूँ।

उन्होंने मेरी ओर देखा और ज़मीन पर पड़ी मेरी लुंगी उठा कर मुझे दे दी।

उन्हें देख कर नहीं लग रहा था कि हम दोनों के बीच रात में कुछ हुआ है।

हे रब, कोई आदमी औरत को कैसे समझ सकता है?

औरत एक रहस्य से भरी पुस्तक है, इस पुस्तक के व्यावहारिक अध्ययन के लिए हमारी पूरी जिंदगी भी कम है।