Savita bhabhi xxx, hindi sex kahani: शहर की चकाचौंध भरी जिंदगी अब मुझे बहुत अच्छी लगने लगी थी। मुझे शहर में ही रहना अच्छा लगने लगा, हमारे पड़ोस में जितने भी मर्द रहते हैं वह सब मुझे देखा करते। सब लोग मुझे कहते कि सविता तुम बहुत ही सुंदर हो मेरे पति बड़े ही सामान्य से हैं वह दिखने में सामान्य कद काठी के हैं इसलिए सब लोगों उन्हे अक्सर चिढ़ाते रहते हैं लंगूर के हाथ में अंगूर लग गया है लेकिन मैंने कभी भी अपने पति को शर्मिंदा होने नहीं दिया। जब भी उन्हें ऐसा लगता उन्हें बुरा लग रहा है तो मैं उन्हें खुश करने के लिए रात के वक्त उनके बदन की मालिश करती और मालिश करते वक्त मैं अपने हाथ में तेल लेकर उनके लंड की मालिश करती तो वह खुश हो जाया करते। मैं जब उनके मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती तो वह मुझे कहती सविता तुम बड़ी कमाल की हो मुझे कई बार लगता है कि मेरे हाथ वाकई में बहुत ही अच्छा माल लग चुका है मैं उन्हें पूरी तरीके से खुश कर दिया करती।
वह भी बहुत खुश रहते थे वह हमेशा मुझे कहते सविता तुम बहुत ही अच्छी हो एक दिन मेरे पति सुरेश घर जल्दी आ गए। उस दिन मैं घर पर ही थी मैं उस वक्त अपनी चूत के बाल साफ रही थी मैं जल्दी से दौड़ती हुई दरवाजे की तरफ गई मैंने दरवाजा खोला तो वह कहने लगे मैं कितनी देर से बेल बजा रहा हूं लेकिन तुमने दरवाजा खोल ही नहीं रही। मैंने उनको कहा तुम आज इतना क्यों गुस्सा हो रहे हो शायद सुरेश को अपने ऑफिस में अपने बॉस से डांट पड़ी थी इस वजह से वह बहुत ही ज्यादा गुस्से में थे। उन्होने कुछ देर तक कुछ नहीं कहा लेकिन मैं भी सुरेश को खुश करना जानती थी मैंने सुरेश के हाथों को पकड़ लिया और उन्हें कहा सुरेश क्या हुआ? वह मुझे कहने लगे सविता तुम्हें क्या बताऊं तुम तो जानती हो कि मेरे ऑफिस में कितनी ज्यादा दिक्कत है कुछ समय से काम कुछ ज्यादा ही होने लगा है इस वजह से मैं बहुत ज्यादा परेशान रहने लगा हूं। मैंने सुरेश को कहा तुम परेशान क्यों हो रहे हो यह कहते ही मैंने अपने हाथ को सुरेश की पैंट की तरफ बढाया।
वह मुझे बोले तुम जब देखो बस चुदाई के बारे में सोचती रहती हो मैंने सुरेश की तरफ देख कर कहा सुरेश इसी में तो मजा है मैं अभी तुम्हें खुश कर देती हूं। मैंने सुरेश की पैंट को खोलते हुए उनके अंडरवियर से लंड को बाहर निकाला तो सुरेश बहुत ही ज्यादा खुश हो गए वह मुझे कहने लगे मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैने सुरेश के लंड को खड़ा कर दिया जैसे ही सुरेश का मोटा लंड तन कर खड़ा हुआ तो मैंने उसे अपने मुंह के अंदर समा लिया उन्हे बडा ही अच्छे से मजा आने लगा और मुझे भी बहुत मजा आने लगा था। मै जिस तरह सुरेश के मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी उस से मैने अब सुरेश के लंड से पानी बाहर निकाल दिया था सुरेश बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे वह मुझे कहने लगे मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। मैं सुरेश के लंड को तब तक चूसती रही जब तक सुरेश के लंड ने पानी बाहर नहीं छोड़ दिया जैसे ही सुरेश के लंड से वीर्य की पिचकारी बाहर आई तो वह मुझे कहने लगी सविता आज मजा आ गया। सुरेश के वीर्य को मैं अपने अंदर निगल चुकी थी और सुरेश के अंदर अब जोश पैदा हो चुका था। मैंने सुरेश को कहा मैं आपको दूध का गिलास दे देती हूं मैंने सुरेश को दूध का गिलास ला कर दिया। अब मैंने सुरेश को दूध दिया उन्होंने जब दूध पिया तो मैंने उसमें हल्दी भी मिला दी थी। जब मैंने उसमें हल्दी मिलाई तो सुरेश वह दूध एक ही झटके में गटक गए उसके बाद वह मुझे अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर तक ले गए। जब वह मुझे बिस्तर तक ले गए तो उसके बाद उन्होंने मेरे कपड़ों को उतार दिया और मेरी ब्रा को उन्होंने फाडकर एक किनारे रख दिया। जब उन्होंने मेरी ब्रा को उतार दिया तो मैंने भी अपने पैरों को चौड़ा कर लिया। सुरेश और मैं एक दूसरे के साथ चुदाई का खेल खेलने वाले थे सुरेश ने अपने मोटे लंड को पूरी तरीके से चिकना बना दिया। सुरेश ने मेरी चूत के अंदर अपने लंड घुसाते हुए एक जोरदार झटका मारा जैसी ही सुरेश ने मुझे धक्का मारा तो वैसे ही मेरी चूत के अंदर सुरेश का मोटा लंड चला गया सुरेश का मोटा लंड मेरी चूत के अंदर जाते ही मैं जोर से चिल्लाते हुए सुरेश को पकड़ने लगी और सुरेश ने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया था मैं सुरेश की बाहों में थी और मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था।
अब सुरेश ने मुझे उठा उठा कर चोदना शुरू किया उस वक्त मुझे और भी मज़ा आने लगा जब मैं सुरेश के लंड के ऊपर बैठी हुई थी मुझे उनके लंड की सैर करने में बहुत मजा आ रहा था और ऐसा लग रहा था बस अपनी चूतड़ों को मै ऊपर नीचे करती जाऊं। मेरे अंदर की गर्मी अब इस कदर बढ़ गई कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी एक पल रोक ना सकी और सुरेश का लंड भी कठोर हो चुका था। जैसे ही सुरेश ने अपने लंड से माल को बाहर की तरफ छोड़ा तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगने लगा। सुरेश जब मेरे गांड को अपनी तरफ कर के मेरी गांड पर अपने लंड को रगड रहे थे जब वह ऐसा कर रहे थे तो मेरी चूत से निकलता हुआ पानी अब और भी अधिक होने लगा था। मैंने सुरेश को कहा मुझे लग रहा है मेरी चूत से कुछ ज्यादा ही अधिक पानी बाहर निकलने लगा है सुरेश इस बात से खुश हो गए थे। वह मुझे कहने लगे आज मैं तुम्हें जन्नत की सैर करवा देता हूं। मैंने उनको कहा लगता है आप आज अपनी दूध की पूरी ताकत को मेरे अंदर ही निकालने वाले है।
सुरेश ने मेरे पैरों को आपस में मिला लिया जैसे ही सुरेश ने अपने लंड को मेरी चूत के अंदर घुसाया तो मेरी चूत के अंदर लंड जाते ही मैं जोर से चिल्लाई और सुरेश को कहा आज मुझे मजा आ गया। मैं सुरेश का साथ बड़े अच्छे से दे रही थी हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स के मजे ले रहे थे तभी घर की घंटी बजने लगी। सुरेश कहने लगे पता नहीं कौन मादरचोद आ गया है। मैंने सुरेश को कहा तुम लगे रहो सुरेश मुझे चोद रहे थे बिस्तर हिल रहा था। मुझे तो लग रहा था बिस्तर कहीं टूट ना जाए क्योंकि जिस प्रकार से सुरेश ने मुझे जमकर चोदना शुरू किया था उससे मुझे ऐसा ही महसूस हो रहा था कि कहीं बिस्तर टूट ना जाए। सुरेश की माल कि पिचकारी बाहर आ गई। सुरेश ने कहा जल्दी से कपड़े पहन लो देखते हैं दरवाजे पर कौन है। मैंने भी अब जल्दी से कपड़े पहन लिए और सुरेश ने भी कपड़े पहन लिए थे। हम दोनों बिस्तर को ठीक कर के जैसे ही दरवाजे की तरफ गए तो मैने दरवाजा खोला तो मैंने देखा सामने तो सुरेश के चाचा जी थे। वह मेरी तरफ देख रहे थे वह कहने लगे मैं इतनी देर से दरवाजे की घंटी बजा रहा हूं लेकिन तुम दरवाजा खोल ही नहीं रहे हो। सुरेश ने उन्हें कहा चाचा जी हम लोग अंदर कमरे में थे इसलिए सुनाई नहीं दिया। मैंने भी चाचा जी से कहा चाचा जी माफ कर दीजिए। अब वह अंदर आ गए वह सोफे पर बैठे हुए थे मैं उनके लिए चाय बना कर लाई मैंने उनको चाय दी तो वह मेरी तरफ देख रहे और मुझे कहने लगे लगता है तुम सुरेश का कुछ ज्यादा ही ध्यान रख रही हो। उन्होंने सुरेश से कहा तुम अपनी पैंट की चैन तो लगा लो मैंने जब उनकी पैंट की तरफ देखा तो उनकी पैंट की चैन खुली हुई थी। चाचा जी समझ चुके थे कि हम दोनों एक दूसरे के साथ चुदाई कर रहे थे इस बात पर सुरेश बड़े ही शर्मिंदा हो गए। मैं चाचा जी के सामने ही खड़ी थी सुरेश अब कमरे में चले गए चाचा जी मुझे कहने लगे बहु तुम कैसी हो? यह कहते हुए उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ लिया मैंने अपने हाथ उनके हाथ से छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उनके मजबूत हाथों ने मुझे कसकर पकड़ लिया था। मुझे उनके इरादे नेक नहीं लग रहे थे जैसे ही सुरेश बाहर आए तो चाचा जी ने मेरे हाथ को छोड़ दिया।