desi sex story, savita bhabhi xxx मेरा नाम सविता है मैं दिल्ली में ही बचपन से रही हूं, मैं एक बहुत ही इंडिपेंडेंट महिला हूं मैं अपने निर्णय खुद ही लेती हूं। शादी के बाद से मेरे पति ने मुझे कभी भी किसी चीज के लिए नहीं रोका इसीलिए शायद मैं एक जुगाड़ बन गई हूं। मुझे मोटे मोटे लंड लेने की आदत हो चुकी है यदि मेरे पति मुझे पहले ही रोक लेते तो शायद यह दिन कभी नहीं आता लेकिन अब मुझे आदत पड़ चुकी है इसलिए मैं हमेशा ही कुछ नया चाहती हूं। मै नए नए लंड को अपनी योनि में लेना पसंद करती हूं मेरे घर में जितने भी उनके दोस्त आते हैं या जो भी परिचित हैं उन सबके लंड मैंने अपनी चिकनी योनि मे कई बार लिए है परंतु सबसे ज्यादा मजा तो मुझे तब आया था जब मुझे मेरे पति के गांव में एक व्यक्ति ने चोदा था। हम लोग उनके गांव में गए हुए थे, जब मैं अपने पति के गांव में गई तो मुझे वहां पर ज्यादा लोग नहीं पहचानते थे मैंने सोचा चलो मैं अकेली ही घूम आती हूं क्योंकि शहर के माहौल और गांव के माहौल में काफी फर्क होता है इसीलिए मैं अकेली ही टहलने के लिए चली गई।
जब मैं अकेली टहलने के लिए गई तो मेरे पीछे एक सांड पड़ गया मैंने लाल रंग के कपड़े पहने हुए थे इसलिए मैं बड़ी तेजी से भागने लगी और वह सेंड भी मेरे पीछे ही भाग रहा था उसका मोटा लंड भी बाहर की तरफ निकला हुआ था, मैं बहुत ज्यादा डर गई मुझे लगा कहीं इसका लंड मेरी गांड में ना घुस जाए इसीलिए मैं वहां से बड़ी तेजी से भागने लगी। मै इतनी तेज भाग रही थी मेरी सांसे भी फूल रही थी। तभी आगे से एक नौजवान युवक आ गाया वह बहुत ही हट्टा कट्टा था उसने जब मेरे पीछे देखा एक सांड मेरे पीछे भाग रहा है उसने ही जैसे कैसे उस सांड को काबू किया और मेरी जान बची गई। मैने उसे कहा यदि तुम समय पर नहीं आते तो मुझे वह सांड मार ही देता। मैंने उस नौजवान युवक का नाम पता किया तो उसका नाम बलवीर था, वह एक हट्टा कट्टा और गबरु जवान था, उसकी छाती भी बहुत बड़ी थी और उसकी लंबाई 6 फुट से ऊपर थी। मैंने उसकी लंबाई और उसकी तंदुरुस्ती से ही उसके लंड का आकलन कर लिया था उसका लंड कितना मोटा होगा।
मैंने उससे पूछा तुम क्या करते हो वह कहने लगा मैं गांव में ही खेती बाड़ी का काम करता हूं। मैंने उसे कहा तुम शहर क्यों नहीं चले जाते शहर में जाकर तो तुम्हें बहुत अच्छी नौकरी मिल जाएगी और जिस हिसाब से तुम्हारा शरीर है उस हिसाब से तो तुम्हें बहुत पैसे मिल जाएंगे। वह कहने लगा मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं हूं और हमारे घर की माली स्थिति भी कुछ खास ठीक नहीं है इसीलिए मैं कहीं भी जाना पसंद नहीं करता, मै खेती बाड़ी से ही गुजारा करता हू उसी से मैं काम चला लेता हूं। मेरे दिल में उसको लेकर घंटी बज चुकी थी और उसका लंड मुझे किसी भी हाल में अपनी योनि मे लेना ही था इसीलिए मैं उस पर डोरे डालने लगी थी। वह एक नंबर का चूतिया किस्म का व्यक्ति है वह मेरे इशारे नहीं समझ पा रहा था मैंने कई बार उसे इशारे देने की कोशिश की लेकिन वह हर बार ही मेरे इशारों को नहीं समझ पाता। मुझे लगने लगा ऐसा तो मेरे साथ पहली बार हो रहा है कि कोई मुझे पसंद आया है और मैं उसके साथ संभोग नही कर पाऊं। मैंने भी ठान ली कि मैं अब बलवीर के साथ तो संभोग कर के ही रहूंगी और उसे भी अपने यौवन के जाल में फंसा कर ही रहूंगी। मेरे पति मुझे कहने लगे मैं दिल्ली जा रहा हूं यदि तुम कुछ दिन गांव में रुकना चाहती हो तो रुक सकती हो। मैंने अपने पति से कहा ठीक है तुम चले जाओ वैसे भी काफी दिन तुम्हें यहां हो चुके हैं, मैं चाचा चाची के साथ रह लूंगी। मेरे पति भी निश्चिंत थे और उन्हें भी कोई दिक्कत नहीं थी वह दिल्ली चले गए। जब वह दिल्ली गए तो वह मुझे फोन कर दिया करते थे लेकिन नेटवर्क की समस्या के चलते हम लोग इतनी बात नहीं कर पाते थे और जितने भी हम लोगों की बात होती मै उन्हें कहती मैं ठीक हूं। एक दिन बालवीर मेरे पति के चाचा चाची के घर पर आ गया। मेरे पति के चाचा गांव के बहुत बड़े रईस हैं और वह काफी पैसे वाले हैं इसलिए सब लोग उनके पास आते है, वह ब्याज पर पैसे भी दिया करते हैं। उस दिन बलवीर घर पर आ गया वह चाचा जी से कहने लगा मुझे कुछ पैसों की आवश्यकता है मैं आपको पैसे बाद में लौटा दूंगा।
चाचा कहने लगे यदि तुम समय पर पैसे नहीं लौटा पाए तो तुम्हें मेरे पास ही काम करना पड़ेगा और तुम्हारे गाय और भैंस मैं घर से उठाकर ले आऊंगा। वह कहने लगा ठीक है यदि मैं आपको पैसे नहीं दे पाया तो मैं आपको अपनी गाय और भैंस दे दूंगा और आपके पास ही काम करूंगा। जब उसने यह बात कही तो उस समय मै भी वहीं पर खड़ी थी मैं बालवीर को देखे जा रही थी। चाचा जी ने भी बलवीर को पैसे दे दिए और उसे वह पैसे कुछ दिनों के लिए दिए थे लेकिन वह कुछ दिनों तक पैसे नहीं लौटा पाया। जब वह पैसे नहीं लौटा पाया तो चाचा उसकी गाय और भैसे उठा कर ले आए और बलवीर भी उनके पास ही काम करने लगा। जब वह काम करता तो मैं उसे हमेशा ही देखती रहती, मेरी हवस भरी नजरें जब उस पर पड़ती तो मैं उसे अपना बनाना चाहती थी और उसके लंड को अपनी मुलायम योनि में लेना चाहती थी। चाचा ने उससे काम करवा करवा कर उसका तेल बाहर निकाल दिया था। वह पूरी तरीके से थक जाता था मुझे उस पर बहुत तरस आता था। एक दिन घर पर कोई भी नहीं था, सब लोग कहीं बाहर गए हुए थे। चाचा ने मुझे कहा था तुम सब लोगों से अच्छे से काम करवाना और घर का ध्यान रखना, चाची भी यही कह कर गई थी।
बलवीर उस दिन घर का काम कर रहा था मैं उसे बार बार अपनी प्यासी नजरों से देख रही थी, वह भी मेरी तरफ देखता जाता। मैंने उसे अपने पास बुलाया और मैंने अपनी साड़ी के पल्लू को थोड़ा सा नीचे कर लिया जिससे कि मेरे स्तन उसे दिखाई दे जाए। मैंने उसे कहा मैं तुम्हारे पैसे दे दूंगी जिससे कि तुम अपना कर्जा चुका सकते हो लेकिन तुम्हें उसके बदले मुझे खुश करना होगा। वह झट से मान गया, मैं जब उसे अंदर कमरे में ले गया तो वहां पर खाट लगी हुई थी। उसने मुझे उस खाट पर लेटा दिया मैंने जब उसके काले और लंबे लंड को अपने मुंह के अंदर लिया तो उस से बदबू आ रही थी लेकिन मुझे उसके लंड को चूसनू में मुझे बड़ा आनंद आ रहा था। मैने कुछ देर तक तो उसके लंड को सकिंग किया, मैं पूरे मूड में आ गई तो मैंने अपने पैरों को उसके सामने खोल दिया और उसे कहा तुम मेरी योनि को अच्छे से चाटकर गिला कर दो। उसने मेरी मुलायम चूत को इतना देर तक चाटा मेरा पानी निकल रहा था जैसे कि कोई नल से पानी निकल रहा हो। उसने अपनी मोटी से उंगली को मेरी योनि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया मैं पूरे मूड में थी। उसने भी अपने लंड को मेरी चूत के अंदर डाल दिया जैसे ही उसका 10 इंच मोटा लंड मेरी योनि के अंदर घुसा तो मुझे बहुत दर्द महसूस होने लगा। मैंने उसको कहा आज तुम अपनी पूरी ताकत मेरे ऊपर झोक देना। उसने भी मुझे इतनी तेज गति से धक्के दिए की वो खाट भी टूट गई हम दोनों नीचे गिर पड़े लेकिन वह मुझे ऐसे ही चोदता रहा और बड़ी तेज गति से उसने मुझे झटके दिए। उसके धक्के इतने तेज होते कि मेरी चूतड़ों उसके लंड टकरा से टकराती तो मुझे ऐसा लगता जैसे उसका लंड मेरे पेट के अंदर तक जा रहा है। उसने मेरी दोनों जांघों को इतना कसके पकड़ा था मेरी जांघ से भी उसने खून निकाल कर रख दिया उसके नाख़ून मेरी जांघ के अंदर तक जा चुके थे और वह बड़ी तेजी से मुझे धक्के मार रहा था। मैंने बलबीर से कहा आज तो तुमने मेरी प्यास को बुझा कर रख दिया है। मैं जब झडने वाली थी तो मैंने अपने पैरों को चौड़ा कर दिया और वह भी मुझे झटके मारता। उसका लंड इतनी तेज गति से मेरी योनि के अंदर जाता मुझे कुछ पता ही नहीं चल रहा था जैसे ही उसका वीर्य मेरी मुलायम योनि के अंदर गया तो मैं बहुत ही खुश हो गई। मैंने उसे पैसे दे दिए उसने चाचा को पैसे दे दिए जिससे की वह अपनी खेती बाड़ी पर ध्यान देने लगा।