जीजू ने आधी रात में छत पर चोदा

मैंने उनसे कहा- अरे जीजू, आप बाहर क्यों खड़े हो, अन्दर आइये, काफी थके हुए लग रहे हो आप… अन्दर आइये, मैं आपको चाय पिलाती हूँ.

तो उन्होंने भी कहा- हाँ रीना , तुम मुझे चाय पिला दो, चाय पी कर थोड़ा मैं रिलेक्स हो जाऊंगा.

जीजू अंदर आये मैंने उन्हें बैठने के लिए कहा और चाय बनाने के लिए किचन में चली गई.

चाय लेकर जब मैं बाहर आई तो मेरी ब्रा जीजू के हाथ में थी, मुझे देख कर जीजू ने कहा- रीना , यह तुम्हारी ब्रा है, तुमने इसे यहाँ क्यों रख छोड़ा?

मैंने थोड़ा झुक कर जीजू को चाय दी तो मेरे बूब्स जीजू को साफ साफ दिखने लगे और जीजू की भी नजर जैसे मेरे बूब्स पर ही आकर रुक गई हो.

चाय देने के बाद मैं जीजू के सामने ही बैठ गई.

जीजू ने कहा- रीना , लगता है तुमने आज ब्रा नहीं पहनी?

मैं थोड़ी सी मुस्कुराई और बोली- ब्रा क्या जीजू, मैंने आज पेंटी भी नहीं पहनी, घर में अकेली थी तो मैंने आज ब्रा पेंटी उतार दी!

और मैं हंसने लगी जीजू भी मेरी बात बार थोड़ा सा हंस दिए!

कुछ देर बाद मैंने नोटिस किया कि निलेश जीजू मुझे बहुत घूरते रहे थे। वो मुझसे बातें भी अब थोड़ी अलग करने लगे थे. मेरे बूब्स देख कर शायद उन्हें भी अब कुछ कुछ होने लगा था, वो अब सेक्सी बात भी करने लगे थे, मैं भी पूरे मजे ले रही थी, मैं तो चाहती ही थी उन्हें अपने जवानी दिखाना!

बातों ही बातों में जीजू ने मुझ से कहा- रीना , क्या तुम्हें शादी नहीं करनी? सुहागरात नहीं मनानी?

मैंने उन्हें हँसते हुए कहा- मुझे शादी ही नहीं करनी जीजू!

तभी उन्होंने कहा- तो क्या सिर्फ़ सुहागरात मनाओगी?

तो मैं हँसने लगी.

तभी जीजू ने मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया और कहा- मेरे साथ मनाओगी?

मैंने कहा- क्या जीजू? आप भी..

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कहकर अपना उनसे पीछा छुड़वाना चाहा… पर वो स्ट्रॉंग थे।

तभी उन्होंने मुझे और भी कसकर पकड़ा और कहा- मैं तो सिर्फ़ तुम्हारे साथ ही मनाऊंगा।

मैं अपने आपको उनके हाथ से छुड़वा कर अपने रूम की तरफ जाकर उनकी तरफ देखा, उनकी आँखों में मेरे लिए आग थी, जीजू भी उठ कर मेरी तरफ आये और फिर से उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरे गले को चूमने लगे।

मैं जोर से धक्का दे रही थी। मैंने उनकी आँखों में देखा, वो आउट ऑफ कंट्रोल थे, उन पर जिस्म की भूख सवार थी और उन्होंने मुझे किस कर दिया, फिर मैं भी उन्हें रिटर्न में किस करने लगी।

अब वो मेरे बूब्स मसलने लगे और तभी उन्होंने मेरा टॉप ऊपर किया और निप्पल को चूसा और काटा। मैं हल्की हल्की आहें उम्म्ह… अहह… हय… याह… भरने लगी और फिर मैंने उनसे कहा- यह ग़लत है।

तभी उन्होंने ‘सिशह्ह…’ कह कर मुझे शांत किया, उन्होंने मेरा टॉप उतार दी।

मैंने अपनी आँखें बंद कर दी, अब वो मेरे बूब्स दबाने लगे और किस करने लगे।

फिर उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और फिर से मेरे सेक्सी होठों पर चुम्मा लेने लगे।

वो मुझे बेडरूम में ले गये और बिस्तर पर लिटा दिया और कहने लगे- साली जी, आज मैं आपको रगड़ कर चोदने वाला हूँ। आपको जीजा के साथ सेक्स में बहुत मजा मिलेगा!
मैंने कहाँ- जीजू, जब से आप को छत पर नंगा नहाते हुए देखा, मैं आपकी दीवानी हो गई हूं, आज तो मैं आपसे चुदवाना चाहती थी। पर जीजू मुझे ऐसे चोदना कि दर्द ना हो!
जीजू ने कहा- साली जी, दर्द तो तुमको जरूर होगा पर बाद में मजा भी बहुत आएगा.

तभी घर की डोर बेल बजी, मैं घबरा गई और जीजू भी घबरा गए, वो जल्दी से मेरे रूम से बाहर जा कर सोफे पर बैठ गए और मैंने जल्दी से अपनी ब्रा और टॉप पहनी और पेंटी को रूम में फेंक दी और जाकर दरवाजा खोली तो सामने मम्मी थी.

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वो अन्दर आई और उन्होंने हरमोल जीजू को देख तो कहा- अरे हरमोल , तुम यहाँ?

तो जीजू ने कहा- हाँ आंटी, मैं अपने घर की चाबी लेने आया था और रीना ने मुझे चाय के लिए बोली तो मैं चाय पीने रुक गया!

फिर उन्होंने कहा- अच्छा तो अब मैं चलता हूं!

कह कर जीजू चले गए मैं भी अपने कमरे में आ गई और अपनी फूटी किस्मत पर अफसोस करने लगी कि इतना अच्छा चुदाई का मौका हाथ से निकल गया.तो हरमोल जीजू से चुदने के बाद जब मैं घर आई तो बार बार आज की चुदाई के नजारे मेरी आँखों के सामने आ रहे थे, जीजू द्वारा की गई चुदाई को मैं भूल नहीं पा रही थी उस चुदाई के बाद एक दो बार ओर जीजू ने मेरी चुदाई की पर अब बार बार जीजू ऑफिस से छुट्टी नहीं ले सकते थे इस लिए अब मेरी चूत की पूरी चुदाई नहीं हो पा रही थी. मुझे अपनी चूत चुदवाने की तलब सी लगी रहती थी लेकिन कोई लंड मेरी चूत को मिल नहीं रहा था.

फिर एक दिन रात के करीब 12:30 बजे जीजू का मुझे फ़ोन आया, मुझे थोड़ा अजीब लगा कि जीजू इतनी रात में मुझे फ़ोन क्यों कर रहे हैं. जब मैंने फ़ोन उठाया तो जीजू ने कहा- रीना , क्या कर रही हो? क्या तुम अपने घर की छत पर आ सकती हो?

मैंने उनसे पूछा- क्यों जीजू, क्या हुआ? आप मुझे इतनी रात में छत पर बुला रहे हो, सब ठीक तो है ना?

उन्होंने कहा- रीना , सब ठीक है, तुम छत पर आओ तुम्हारी बहुत याद आ रही है. सपना की आज नाईट शिफ्ट है तो वो हॉस्पिटल चली गई है मुझे तुम्हें देखना है, तुम छत पर आओ.

मैंने कहा- ठीक है जीजू, मैं बस अभी आती हूँ.

मैं चुदाई के लिए बेचैन थी लेकिन छत पर चुदाई की कोई संभावना ही नहीं थी फिर भी मैं चली गई ऊपर छत पर… मैं जैसे ही छत पर गई और छत का दरवाजा खोला तो जीजू मेरे सामने मेरी घर की छत पर ही खड़े थे और हल्की हल्की बारिश के छीटे पड़ रहे थे.

मैंने उन्हें देख कर कहा- जीजू, आप यहाँ मेरे घर की छत पर कैसे आये?

तो उन्होंने बताया कि उन्होंने मेरे घर की बिल्डिंग ओर उनके घर की बिल्डिंग के बीच में लकड़ी के दो फट्टों को लगा दिया है जिससे एक ब्रिज बन गया.

क्योंकि इन दोनों बिल्डिंग के बीच में मुश्किल से 3′ की ही जगह थी जिस पर लकड़ी के ये फट्टे लगाने से एक ब्रिज बन गया था.

फिर जीजू ने कहा- देखो न रीना , मौसम कितना सुहाना हो रहा है, बारिश के भी हल्के हल्के छींटे आ रहे हैं क्या इस मौसम में तुम्हारा चुदाई करने का मन नहीं कर रहा?

मैंने कहा- जीजू, कर तो बहुत रहा है पर करेंगे कहाँ?

तो जीजू ने कहा- यहीं छत पर मैं तेरी चूत चोदूंगा… रीना आ जाओ न मेरी बाँहों में!

कह कर जीजू ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मुझे चूमने लगे.

मैंने अपने आप को उनकी बाहों से छुटवा कर कहा- क्या पागल हो गए हो जीजू आप? इस तरह खुले में चुदाई करोगे मेरी? कोई देख लेगा तो? मुझे डर लग रहा है.

उन्होंने कहा- रीना , रात का 1 बज रहा है और बारिश भी आ रही है, इस टाइम कौन अपने घर के बाहर छत पर आयेगा. यहाँ तो बस तुम और मैं ही हैं और आस पास भी तुम देख लो, दूर दूर तक कोई नहीं दिखेगा.

मैंने अपनी नजरें घुमा कर देखा तो सब तरफ शांति थी, कोई भी दिख नहीं रहा था.

जीजू ने फिर से मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और फिर चूमने लगे. मैंने फिर से उन्हें अपने से अलग किया तो उन्होंने कहा- क्या हुआ मेरी साली जी? चुदवाने का मन नहीं है क्या?

मैंने कहा- जीजू, चुदवाने का तो मन बहुत है पर मुझे डर लग रहा है इस तरह छत पर खुले में और नीचे घर में भी सब हैं, कोई आ गया तो?